द्विरागमन (गौना) करने का शुभ मुहूर्त 2025 | द्विरागमन शुभ मुहूर्त | Gvana karne ka Shubh muhurt kab hai
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आज हम द्विरागमन (गौना) करने का शुभ मुहूर्त के बारे में जानेंगे। द्विरागमन को आम भाषा में गौना भी कहा जाता है। द्विरागमन (गौना) का शुभ मुहूर्त कब है?, गौना कब करना चाहिए?, गौना किस माह में करना चाहिए? इत्यादि प्रश्नों के बारे में विस्तार से जानेंगे। जिससे आप द्विरागमन से संबंधित सभी बातों को जान सके।
द्विरागमन (गौना) करने का शुभ मुहूर्त जनवरी 2025
जनवरी माह में कोई शुभ मुहूर्त नहीं है।
द्विरागमन (गौना) करने का शुभ मुहूर्त फरवरी 2025
दिनांक | वार | समय |
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18 फरवरी 2025 | मंगलवार | प्रातः 6:07 से प्रातः 6:23 तक |
20 फरवरी 2025 | गुरुवार | दोपहर 12:30 से दोपहर 2:44 तक |
21 फरवरी 2025 | शुक्रवार | सुबह 7:25 से सुबह 8:02 तक |
25 फरवरी 2025 | मंगलवार | प्रातः 6:18 से सुबह 7:10 तक |
द्विरागमन (गौना) करने का शुभ मुहूर्त मार्च 2025
दिनांक | वार | समय |
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4 मार्च 2025 | मंगलवार | प्रातः 5:30 से प्रातः 6:12 तक |
6 मार्च 2025 | गुरुवार | सुबह 6:36 से सुबह 8:04 पर, सुबह 11:36 से दोपहर 1:51 तक |
7 मार्च 2025 | शुक्रवार | प्रातः 5:06 से सुबह 8:00 तक, सुबह 11:33 से दोपहर 1:46 तक |
10 मार्च 2025 | सोमवार | सुबह 11:22 में दोपहर 1:36 तक |
द्विरागमन (गौना) किसे कहते हैं?
जब कोई स्त्री विवाह के बाद पहली बार अपने पति के घर प्रवेश करती है। और उसके बाद अपने पिता के घर जाती है। और पुनः अपने पति के घर आती है। तो उसी को ही द्विरागमन अर्थात गौना कहा जाता है।
द्विरागमन (गौना) करने का शुभ नक्षत्र कौन सा है?
द्विरागमन करने के लिए हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत, तीनों उत्तरा, रोहणी, स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, और मूल नक्षत्र को शुभ माना गया है। इन्हीं ने नक्षत्रों में द्विरागमन करना चाहिए।
द्विरागमन (गौना) करने का समय क्या है?
इस समय देखा जाए, तो यह हम प्रक्रिया एक साल में ही हो जाती है। लेकिन द्विरागमन को आप 16 दिन के भीतर ही करते हैं। तो उसके लिए सम दिनों (2, 4, 6, 8, 10, 12, 14, 16,) या (5, 7, 9) वें दिनों में करना चाहिए।
अगर द्विरागमन (गौना) 16 दिन के भीतर नहीं किया जाता है। तो उसे विषम वर्ष (1, 3, 5, 7, 9) में, जब सूर्य मेष, वृश्चिक, कुंभ राशि में हो। सूर्य और गुरु शुद्ध गोचर में हो। शुभ दिन हो। मिथुन, मीन, कन्या, तुला, वृश्चिक लग्न हो। और हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत, तीनों उत्तरा, रोहणी, स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, और मूल नक्षत्र हो। तब द्विरागमन करना शुभ होता है।
द्विरागमन (गौना) में शुक्र दोष क्या है?
जब कभी भी द्विरागमन किया जाता है। तब उस समय शुक्र को भी देखना अनिवार्य माना जाता है। क्योंकि द्विरागमन (गौना) के समय अगर शुक्र दक्षिण (दायां) या सामने आते हैं। तो द्विरागमन नहीं करना चाहिए।
जैसे – मान लीजिए कि शुक्र पूर्व दिशा में उदित हुए हैं। तो अगर पूर्व दिशा में यात्रा किया जाए तो वह सम्मुख होंगे, उत्तर दिशा बाई तरफ होगा, पश्चिम दिशा पीछे की तरफ होगा, और दक्षिण दिशा दाहिने की तरफ होगा। अतः अगर पूर्व दिशा में यात्रा किया जाए, तो शुक्र दोष लगता है। और शुक्र पूर्व दिशा में ही उदित हो, और उत्तर दिशा की यात्रा की जाए। तभी भी पूर्व दिशा दाहिनी तरफ आ जाएगा। और यहां पर भी शुक्र दोष लगता है।
लेकिन अगर दिवाली के दिन शाम के समय दीप के प्रकाश में वधू का प्रवेश कराया जाए। तो उस समय शुक्र दोष और नक्षत्र को देखना अनिवार्य नहीं है।
शुक्र दोष का अपवाद
अगर आप किसी एक नगर से दूसरे नगर में प्रवेश करते हैं। स्थानी आपातकाल में, देश में उपद्रव का माहौल हो, देवस्थान के तीर्थ स्थल की यात्रा हो या राज्यकीय पक्ष से कोई कष्ट हो तो उस समय नववधू का प्रवेश पति के घर में कराया जा सकता है। उस समय सम्मुख शुक्र दोष कारक नहीं होता है।