द्विपुष्कर योग या त्रिपुष्कर योग कब है 2025 | त्रिपुष्कर योग क्या होता है | द्विपुष्कर योग या त्रिपुष्कर योग का महत्व
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द्विपुष्कर योग और त्रिपुष्कर योग एक ऐसा योग है, जो कि शुभ योग माना गया है। लेकिन यह कुछ ऐसे कार्यों में अशुभ योग भी माना गया है। आज हम इसी के बारे में जानने वाले हैं। कि द्विपुष्कर योग या त्रिपुष्कर योग का निर्माण कैसे होता है। और किन कार्यों में यह शुभ माना गया है।
त्रिपुष्कर योग का निर्माण कैसे होता है?
त्रिपुष्कर योग का निर्माण को जानने से पहले नक्षत्र को जान लेते हैं। कि कौन-कौन से नक्षत्र त्रिपुष्कर नक्षत्र होते हैं। कृत्तिका, पुनर्वसु, विशाखा, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र यह 6 नक्षत्र त्रिपुष्कर नक्षत्र कहलाते हैं।
इन्हीं 6 नक्षत्रों में से भद्रा तिथि (2,7,12), रविवार, मंगलवार, शनिवार को जिस नक्षत्र के तीन चरण किसी एक राशि में पडते हैं। और शेष एक चरण दूसरी राशि में पडती है। तो त्रिपुष्कर योग का निर्माण होता है।
द्विपुष्कर योग का निर्माण कैसे होता है?
ऊपर बताए गए विधि के अनुसार ही किसी नक्षत्र के 2-2 चरण अलग-अलग राशि में पडती है। तो वे मृगशिरा, चित्रा, और धनिष्ठा नक्षत्र द्विपुष्कर कहलाता हैं।
भद्रा तिथि (2,7,12), रविवार, मंगलवार, शनिवार में द्विपुष्कर नक्षत्र रहने पर द्विपुष्कर योग बनता है।
द्विपुष्कर योग या त्रिपुष्कर योग शुभ या अशुभ
द्विपुष्कर योग का फल दुगुना होता है। तो वही त्रिपुष्कर योग का फल 3 गुना होता है। इसलिए अगर द्विपुष्कर योग या त्रिपुष्कर योग में किसी व्यक्ति की मृत्यु या कोई विनाश हो जाए। तो यह अशुभ योग माना जाता है। क्योंकि इसमें दुगना या 3 गुना फल प्राप्त होता है। जिसको कोई भी व्यक्ति नहीं चाहेगा की मृत्यु या विनाश दुगना या 3 गुना हो।
इसीलिए अगर किसी व्यक्ति का मृत्यु द्विपुष्कर योग या त्रिपुष्कर योग में हो जाता है। तो दो व तीन गाय क्रमश: दान देना चाहिए। यह दोष तिथि, वार व नक्षत्र एक साथ पड़ने पर ही बनता है। केवल नक्षत्र से नहीं बनता है। इसलिए आपको ऊपर तिथि, वार और नक्षत्र के बारे में जानकारी दिया गया है।
द्विपुष्कर और त्रिपुष्कर योग विचार जनवरी 2025
दिनांक | वार | समय | योग |
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21 जनवरी 2025 | मंगलवार | सुबह 6:40 से सुबह 10:58 तक | द्विपुष्कर योग |