21 अप्रैल 2025 का पंचांग और शीतला अष्टमी व्रत पूजा विधि | आज का शुभ मुहूर्त

21 अप्रैल 2025 का पंचांग और शीतला अष्टमी व्रत विशेष जानकारी
आज का दिन – 21 अप्रैल 2025, सोमवार का दिन है। आज वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। साथ ही आज शीतला अष्टमी व्रत भी मनाया जा रहा है, जो माता शीतला देवी को समर्पित होता है। आइए जानते हैं आज का विस्तृत पंचांग, शुभ मुहूर्त, राहुकाल और शीतला अष्टमी व्रत की सम्पूर्ण विधि।
आज का पंचांग
- वार: सोमवार
- पक्ष: वैशाख कृष्ण पक्ष
- सूर्योदय: प्रातः 5:38 बजे
- सूर्यास्त: शाम 6:22 बजे
- तिथि: अष्टमी तिथि दोपहर 1:40 बजे तक, फिर नवमी तिथि आरंभ
- नक्षत्र:
- पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र प्रातः 7:56 बजे तक
- तत्पश्चात श्रवण नक्षत्र प्रारंभ
- योग:
- साध्य योग शाम 6:44 बजे तक
- तत्पश्चात शुभ योग आरंभ
- चंद्रमा: मकर राशि में
- सूर्य:
- नक्षत्र: अश्विनी
- राशि: मेष
आज के राहुकाल, यमगंड काल और गुलिक काल
- राहुकाल: सुबह 7:13 से 8:49 तक
- यमगंड काल: सुबह 10:24 से दोपहर 12:00 तक
- गुलिक काल: दोपहर 1:35 से 3:11 तक
आज का अभिजीत मुहूर्त
- अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:34 से दोपहर 12:25 तक
आज के विशेष शुभ मुहूर्त
कार्य | शुभ मुहूर्त |
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व्यापार आरंभ करना | सुबह 5:38 से 7:56 तक |
वधू प्रवेश | सुबह 6:52 से 7:56 तक, दोपहर 1:20 से 1:40 तक |
गौना संस्कार | सुबह 6:52 से 7:56 तक |
कान छेदना और वस्तु खरीदना | सुबह 7:56 से दोपहर 1:40 तक |
खेती कार्य और शिल्प विद्या आरंभ | सुबह 5:38 से दोपहर 1:40 तक |
शीतला अष्टमी व्रत 2025 : महत्व और पूजन विधि
आज शीतला अष्टमी का पावन पर्व है। यह व्रत विशेष रूप से माता शीतला देवी को समर्पित होता है, जो रोगों, विशेषकर चेचक और अन्य संक्रामक बीमारियों से रक्षा करने वाली देवी मानी जाती हैं। इस दिन माता शीतला की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना कर स्वास्थ्य और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
शीतला अष्टमी व्रत की विशेषताएँ
- इस व्रत में अग्नि प्रज्वलन वर्जित है।
- एक दिन पूर्व (सप्तमी तिथि) को भोजन तैयार कर लिया जाता है।
- अष्टमी तिथि को बासी और ठंडा भोजन ग्रहण किया जाता है।
- माता शीतला को हल्दी, चावल, दही, गुड़, बेसन से बने व्यंजन और पूर्व दिन का भोजन अर्पित किया जाता है।
शीतला अष्टमी व्रत की पूजन विधि
- प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- माता शीतला की प्रतिमा या चित्र को साफ स्थान पर स्थापित करें।
- माता को हल्दी, अक्षत (चावल), दही, गुड़ तथा पूर्व दिन बनाए गए पकवानों का भोग लगाएँ।
- दीपक जलाकर माता शीतला के मंत्रों और व्रत कथा का पाठ करें।
- दिनभर व्रत का पालन करते हुए माता का ध्यान करें।
- रात्रि में भी एक दिन पहले बना हुआ ठंडा भोजन ही ग्रहण करें।
शीतला अष्टमी व्रत का महत्त्व
मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और माता शीतला की पूजा करने से घर में रोग-व्याधियों का नाश होता है और परिवार में आरोग्यता बनी रहती है। विशेषकर बच्चों को चेचक जैसी बीमारियों से रक्षा मिलती है।
21 अप्रैल 2025 का दिन पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ है, विशेष रूप से व्यापार, वस्तु क्रय और शीतला अष्टमी व्रत करने के लिए। यदि आप आज व्रत कर रहे हैं तो उपरोक्त विधि से माता शीतला की पूजा अवश्य करें और परिवार के आरोग्य और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
शीतला माता की जय!