Panchak 2025 – पंचक क्या है?, पंचक अर्थ क्या है | पंचक काल में कौन से कार्य नहीं करना चाहिए
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हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। इन शुभ मुहूर्त के साथ कुछ अशुभ योग भी होते हैं। जिसमें कार्य को नहीं किया जाता है। इसलिए अशुभ मुहूर्त का देखना अति आवश्यक है। अशुभ समय में एक पंचक भी शामिल है। जिसका विशेष तौर पर ध्यान रखा जाता है। इसलिए हम panchak calendar के बारे में विस्तार से जानेंगे। पंचक कब शुरू हो रहा है?
पंचक कब प्रारंभ होगा जनवरी 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 3 जनवरी 2025 वार – शुक्रवार समय – दोपहर 12:06 से | दिनांक – 7 जनवरी 2025 वार – मंगलवार समय – शाम 5:57 तक |
पंचक प्रारंभ होगा फरवरी 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 30 जनवरी 2025 वार – गुरुवार समय – शाम 7:59 से | दिनांक – 4 फरवरी 2025 वार – मंगलवार समय – रात्रि 2:00 बजे तक |
दिनांक – 27 फरवरी 2025 वार – गुरुवार समय – रात्रि 3:50 से | दिनांक – 3 मार्च 2025 वार – सोमवार समय – सुबह 10:05 तक |
पंचक प्रारंभ होगा मार्च 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 26 मार्च 2025 वार – बुधवार समय – सुबह 11:43 से | दिनांक – 30 मार्च 2025 वार – रविवार समय – शाम 6:14 तक |
पंचक प्रारंभ होगा अप्रैल 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 22 अप्रैल 2025 वार – मंगलवार समय – शाम 7:39 से | दिनांक – 27 अप्रैल 2025 वार – रविवार समय – रात्रि 2:24 तक |
पंचक प्रारंभ होगा मई 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 20 मई 2025 वार – मंगलवार समय – रात्रि 3:37 से | दिनांक – 24 मई 2025 वार – शनिवार समय – सुबह 10:38 तक |
पंचक प्रारंभ होगा जून 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 16 जून 2025 वार – सोमवार समय – सुबह 11:36 से | दिनांक – 20 जून 2025 वार – शुक्रवार समय – शाम 6:54 तक |
पंचक प्रारंभ होगा जुलाई 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 13 जुलाई 2025 वार – रविवार समय – शाम 7:32 से | दिनांक – 18 जुलाई 2025 वार – शुक्रवार समय – रात्रि 3:08 तक |
पंचक प्रारंभ होगा अगस्त 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 10 अगस्त 2025 वार – रविवार समय – रात्रि 3:27 से | दिनांक – 14 अगस्त 2025 वार – गुरुवार समय – सुबह 11:24 तक |
पंचक प्रारंभ होगा सितंबर 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 6 सितंबर 2025 वार – शनिवार समय – सुबह 11:17 से | दिनांक – 10 सितंबर 2025 वार – बुधवार समय – शाम 7:32 तक |
पंचक प्रारंभ होगा अक्टूबर 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 3 अक्टूबर 2025 वार – शुक्रवार समय – शाम 7:01 से | दिनांक – 8 अक्टूबर 2025 वार – बुधवार समय – रात्रि 3:40 तक |
पंचक प्रारंभ होगा नवंबर 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 31 अक्टूबर 2025 वार – शुक्रवार समय – रात्रि 2:46 से | दिनांक – 4 नवंबर 2025 वार – मंगलवार समय – सुबह 11:50 तक |
दिनांक – 27 नवंबर 2025 वार – गुरुवार समय – सुबह 10:23 से | दिनांक – 1 दिसंबर 2025 वार – सोमवार समय – शाम 7:49 तक |
पंचक प्रारंभ होगा दिसंबर 2025
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 24 दिसंबर 2025 वार – बुधवार समय – शाम 5:55 तक | दिनांक – 29 दिसंबर 2025 वार – सोमवार समय – रात्रि 3:49 तक |
पंचक क्या है?
पंचक क्या है? इसके बारे में जानना अति आवश्यक है। क्योंकि पंचक का नाम सुनकर लोग डर जाते हैं। लेकिन पंचक क्या है? क्यों इससे अशुभ माना जाता है। जब तक हम इसके बारे में नहीं जानेंगे। तब तक पंचक के बारे में भ्रम बना रहेगा। तो चलिए जानते हैं, कि पंचक क्या है? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में चंद्र ग्रह का भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है।
पंचक अर्थ क्या है?
पंचक को लोग आमतौर पर अशुभ ही समझते हैं। लेकिन पंचक सभी कार्यों के लिए अशुभ नहीं है। क्योंकि पंचक का अर्थ 5 गुना होता है। अर्थात यह शुभ कार्यों में लिया जा सकता है और लिया जाता है। क्योंकि शुभ कार्य 5 गुना हो तो यह सभी के लिए लाभप्रद होता है। लेकिन पंचक को अशुभ कार्यों के लिए नहीं लिया जाता है। क्योंकि कोई भी व्यक्ति यह नहीं चाहेगा, कि उसके यहां कोई और अशुभ कार्य 5 बार हो इसलिए अशुभ कार्यों के लिए इसे त्याग है। यहां पर हम नीचे पंचक में किए जाने वाले कार्य और निषेध कार्यों के बारे में भी बतला रहे हैं।
पंचक काल में कौन से कार्य नहीं करना चाहिए?
जब पंचक काल प्रारंभ हो जाता है। तब उस समय दक्षिण दिशा की यात्रा, मकान, दुकान की छत डालना, चारपाई बुनना, शव का दाह संस्कार, बांस की चटाई, दीवार बनाना प्रारंभ करना, स्तंभा डालना, तांबा, पीतल का संचय करना निषेध माना गया है। इन सभी कार्यों को करने के लिए पंचक का कोई उपाय या पंचक की शांति करवा कर ही करें।
पंचक काल में किए जाने वाले कार्य कौन से हैं?
अब हम पंचक में किए जाने वाले कार्यों के बारे में जानेंगे। कि वह कौन-कौन से ऐसे कार्य हैं। जिसे पंचक में किया जा सकता है। तो पंचक में किए जाने वाले कार्य हैं। विवाह करना, मुंडन, गृहारंभ, गृहप्रवेश, वधू प्रवेश, उपनयन, व्यापार प्रारंभ करना आदि कार्य को पंचक में किया जा सकता है।
भद्रा कब है?
अब हम जानेंगे कि पंचक कैसे लगता है जिसको आप समझ कर पंचक के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
वैदिक ज्योतिष में नक्षत्र चक्र में 27 नक्षत्रों का बात किया गया है। और इन 27 नक्षत्र को 12 राशियों में विभाजित किया गया है। जिसके वजह से एक राशि में लगभग 2:15 नक्षत्र होते हैं। और इनमें से एक नक्षत्र का मान 13 अंश 20 मिनट का होता है जो कि प्रत्येक नक्षत्र का चार चरण होता है। जो कि प्रत्येक चरण 3 अंश 20 मिनट का होता है और एक राशि का मान 30 अंश होता है। इसलिए जब चंद्रमा अपनी गति करते हुए कुंभ और मीन राशि में गोचर करता है तब उस समय पंचक लगता है।
तो हम पंचक के बारे में जान गए कि कैसे पंचक लगता है। लेकिन यह अभी तक हमने नहीं जाना कि वहां कौन से ऐसे 5 नक्षत्र हैं जिनकी वजह से पंचक लगता है। तो चलिए जानते हैं पंचक नक्षत्र के बारे में कि कौन से नक्षत्र हैं।
पंचक नक्षत्र कौन से हैं?
जब चंद्रमा कुंभ राशि में प्रवेश करता है। तब उस समय धनिष्ठा नक्षत्र का तीसरा चरण प्रारंभ हो जाता है। तब उसके बाद चंद्रमा शतभिषा नक्षत्र, पूर्व भाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र से होकर आगे बढ़ जाता है। लेकिन चंद्रमा को इन 5 नक्षत्र में से निकलने के लिए 5 दिन का वक्त लगता है और यही 5 दिन पंचक कहलाते हैं। और इन 5 नक्षत्र को ही पंचक नक्षत्र भी कहा जाता है। हालांकि चंद्रमा को सभी राशियों में भ्रमण करने के लिए 27 दिन का वक्त लगता है। और 27 दिन में चंद्रमा पुनः उसी राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए 27 दिन की आवृत्ति के बाद ही पंचक लगता है।
पंचक का महत्व क्या है?
हमारे हिंदू ज्योतिष में शुभ मुहूर्त का महत्व अत्यंत सबसे ऊपर है। कोई भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त का देखा जाना और शुभ मुहूर्त पर कार्य को करना बेहद लाभप्रद होता है। लेकिन कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिसको करने से पहले पंचक को भी महत्व दिया जाता है। तो आगे हम इसी के बारे में जानने वाले हैं, की पंचक को कौन से कार्य में विशेष तौर पर महत्व दिया जाता है।
पंचक के अनुसार कार्य
जैसा कि हमने ऊपर जाना की पंचक 5 नक्षत्रों का एक योग है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि अगर पंचक चल रहा हो और उस समय कोई अशुभ कार्य हो जाए। तो वह कार्य 5 बार होता है। जैसे की किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाएं तो उसके घर के 5 सदस्यों को भी मृत्यु के समान ही कष्ट का सामना करना पड़ता है।
पंचक के निवारण
जैसा कि हमने आपको बताया कि अगर पंचक के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए। तो उसके घर के पांच सदस्यों को भी मृत्यु के समान ही संकट आता है। इसलिए मृतक के दाह संस्कार के समय ही चावल और आटे से बने पांच पुतले का भी दाह संस्कार कर दिया जाता है। ताकि घर के अन्य सदस्यों को इस पंचक से छुटकारा मिल जाए।