आज की चौघड़िया मुहूर्त

चौघड़िया

मोबाइल

आज राहु काल का समय

राहु काल

Lucky Dates Calculator

Lucky

भाग्यांक

दशा और अंतरदशा

दशा

मंगल दोष

मंगल दोष

Age Calculator

Age

अभिजीत मुहूर्त

अभिजीत

Love Calculator Kya Hai

Love

भाग्यशाली वाहन संख्या कैलकुलेटर

वाहन

गुलिक काल और यमगंड काल

गुलिक

गुलिक काल और यमगंड काल

यमगंड

गणेश चतुर्थी की पौराणिक 3 कथाएं | संकष्टी गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथाएं | गणेश जी की पौराणिक कहानी

मुहूर्त पूछे

यहां पर गणेश जी की तीन पौराणिक कथाओं के बारे में बताया गया है। जो कि गणेश चतुर्थी के दिन आपके लिए सहायक साबित होगा। जिसको आप गणेश चतुर्थी पर की पर पढ़ सकते हैं। गणेश चतुर्थी को ध्यान में रखकर ही यहां पर गणेश जी की कथाएं दी गई हैं।

ऐसे अनेकों लोग हैं जो की गणेश कथा का बुक घर पर नहीं लाते हैं या लाना भूल गए हैं। उस समय आप यहां पर दिए गए कथाओं को पढ़कर पूजा कर सकते हैं।

1 – गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा

गणेश चतुर्थी की कहानी – एक समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह की तैयारी चल रही थी, जिसमें सभी देवताओं की निमंत्रण भेजा गया। लेकिन विघ्नहर्ता गणेश जी को निमंत्रण नहीं भेजा गया था। सभी देवता अपनी-अपनी पत्नियों के साथ विवाह में आए।

लेकिन गणेश जी मौजूद नहीं थे। इसलिए देवताओं को देखकर भगवान विष्णु से इसका कारण पूछा गया। उन्होंने कहा कि भगवान शिव और पार्वती को निमंत्रण भेजा गया है। गणेश अपने माता-पिता के साथ आना चाहते हैं। तो आ सकते हैं। हालांकि, उन्हें पूरे दिन में पचास मन मूंग, सौ मन चावल, सौ मन घी और सौ मन के लड्डू चाहिए। वे न आएं तो अच्छा है। अगर आप किसी और के घर जाते हैं। तो खाना-पीना सब अच्छा नहीं लगता।

इस दौरान किसी देवता ने कहा कि अगर गणेश जी आते हैं। तो उन्हें घर की देखभाल की जिम्मेदारी दी जा सकती है। उनसे कहा जा सकता है। कि अगर आप चूहे पर धीरे-धीरे चले तो बारात आगे बढ़ जाएगा। और आप पीछे रह जाएंगे। इसलिए आपको घर की देखभाल करनी चाहिए। योजना के अनुसार विष्णु जी के निमंत्रण पर गणेश जी वहाँ प्रकट हुए।

उन्हें घर की रखवाली की जिम्मेदारी दी गई थी। बारात घर से निकल गई। और यह देखकर कि गणेश जी दरवाजे पर बैठे हैं। नारद जी ने इसका कारण पूछा और उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु ने उनका अपमान किया है। तब नारद जी ने गणेश जी को एक सुझाव दिया।

गणपति ने सुझाव के तहत अपनी चूहों की सेना को बारात के सामने भेजा। जिसने पूरे रास्ते खोद दिए। परिणामस्वरूप देवताओं के रथों के पहिए रास्ते में फंस गए। बारात आगे नहीं बढ़ रहा था। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था.

क्या करें, तब नारद जी ने गणेश जी को बुलाने का उपाय बताया। जिससे भगवान के विघ्न दूर हो जाएं। भगवान शिव के आदेश पर नंदी गजानन को लेकर आए। सभी देवताओं ने गणेश जी की पूजा-अर्चना की, तब गड्ढों से रथ के पहिए बाहर निकले, लेकिन कई पहिए टूट गए थे।

उस समय पास में एक लोहार काम कर रहा था। उसे बुलाया गया। काम शुरू करने से पहले उनके मन में गणेश जी का स्मरण किया। और देखते ही देखते रथों के सारे कक्ष स्थिर हो गए। उसने भगवान से कहा।

कि आपने सभी शुभ कार्यों को शुरू करने से पहले विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा नहीं की है। तो ऐसी स्थिति आ गई है। आप सभी गणेश जी का ध्यान करके आगे बढ़ें। आपके सारे काम बन जाएंगे। देवताओं ने गणेश जी की जय-जयकार की और बारात सकुशल अपने लक्ष पर पहुंच गई। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विवाह संपन्न हुआ।

2 – गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा

गणेश चतुर्थी की कहानी – एक दिन माता पार्वती भगवान शिव के साथ नदी के किनारे बैठी थीं। उन्हें चोपड़ खेलने की इच्छा हुई, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा व्यक्ति नहीं था। जो यह तय कर सके कि खेल कौन जीतना है। ऐसे में माता पार्वती और शिव ने एक मिट्टी की मूर्ति को जीवन देकर उसे न्यायाधीश की भूमिका दी।

माता पार्वती खेल में तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन एक बार बच्चे ने गलती से माता पार्वती को हरा दिया और भगवान शिव को विजयी घोषित कर दिया। इस पर पार्वती उनसे नाराज हो गईं।

क्रोधित पार्वती जी ने उस बालक को लंगड़ा बना दिया। उन्होंने माता से माफी मांगी, लेकिन उन्होंने कहा कि अब श्राप वापस नहीं लिया जा सकता है‌। लेकिन एक उपाय है। संकष्टी के दिन कुछ लड़कियां यहां पूजा के लिए आती हैं। उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछते हैं। आप भी वही व्रत करें और पूजा करें। उन्होंने वैसा ही किया जैसा माता पार्वती ने कहा था। इनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान गणेश इनके कष्ट दूर करते हैं।

3 – गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा

गणेश चतुर्थी की कहानी – राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था। वह मिट्टी के बर्तन बनाता है। लेकिन वे कच्चे रह जाते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने एक पुजारी की सलाह पर एक छोटे लड़के को मिट्टी के बर्तनों के सात आंवा में डाल दिया।

उस दिन संकष्टी चतुर्थी थी। उस बच्चे की माँ अपने बेटे के लिए चिंतित थी। उन्होंने बेटे की सलामती के लिए गणेश जी से प्रार्थना की। अगले दिन सुबह जब कुम्हार उठा तो देखा कि उसके बर्तन तो पके हुए हैं। लेकिन बच्चों का बाल भी बांका नहीं हुआ था।

वह डर गया और राजा के दरबार में गया और सारी घटना बताई। इसके बाद राजा ने उस बालक और उसकी माता को बुलाया तो माता ने सभी प्रकार के विघ्नों को दूर करने वाली संकष्टी चतुर्थी का वर्णन किया। इस घटना के बाद महिलाओं ने संतान और परिवार के सौभाग्य के लिए संकष्टी चौथ का व्रत रखना शुरू कर दिया।

मेंष

मेंष

वृषभ

वृषभ

मिथुन

मिथुन

कर्क

कर्क

सिंह

सिंह

कन्या

कन्या

तुला

तुला

वृश्चिक

वृश्चिक

धनु

धनु

मकर

मकर

कुंभ

कुंभ

मीन

मीन

Free Tools

भाग्यशाली वाहन संख्या कैलकुलेटर
वाहन संख्या कैलकुलेटर
नाम अंक ज्योतिष
मोबाइल नंबर
भाग्यांक कैलकुलेटर
Chaldean Numerology
Love Calculator Kya Hai
Love Calculator
अभिजीत मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त
Age Calculator
Age Calculator
Lucky Dates Calculator
Lucky Dates
आज राहु काल का समय
राहु काल का समय

कुंडली

दशा और अंतरदशा
दशा और अंतरदशा
राशि के अनुसार रत्न
नाड़ी दोष
नाड़ी दोष, भकूट दोष
मंगल दोष
मंगल दोष
जन्म कुंडली (Horoscope) कैसे बनाएं
जन्म कुंडली
राशि परिवर्तन
राशि परिवर्तन
ग्रह दोष और उनके उपाय
ग्रह दोष
शनि की साढ़े साती और ढैय्या
शनि की साढ़े साती
kundli milan online in hindi
कुंडली मिलान

शुभ मुहूर्त 

Show next
We will be happy to hear your thoughts

Leave a reply

You cannot copy content of this page

www.muhuratam.com
Logo