स्त्री और पुरुष के दाहिने और बाएं छाती फड़कने का क्या अर्थ है | छाती का फड़कना | Chhati ka fadkana
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आज हम स्त्री और पुरुष दोनों के दाहिने और बाएं छाती फड़कने के अर्थ के बारे में जानेंगे। की छाती के फड़कने से क्या संकेत मिलता है। जिससे हमें आने वाले निकट भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। इसलिए यहां पर अगर आप का अंग बार-बार और लगातार फड़क रहा है। तो इसका अर्थ आपको समझना अति आवश्यक है। क्योंकि बार-बार और लगातार फड़कने से कोई न कोई संकेत मिलता है।
लेकिन यहां पर इस बात को भी ध्यान में रखना अति आवश्यक है। कि कुछ क्षण के लिए कोई अंग फड़के तो इसका कोई भी अर्थ नहीं होता है। इसलिए अगर लंबे समय तक अंगों में फडकन होने लगे, तभी इसका अर्थ समझना चाहिए।
चलिए जान लेते हैं, स्त्री और पुरुष के दाहिने और बाएं छाती के फड़कने के बारे में, कि कौन सा अंग फड़कने से क्या अर्थ और क्या संकेत मिलता है। वैसे तो आप जानते ही होंगे, कि पुरुष के दाहिने अंग का फड़कना शुभ माना जाता है। और वह स्त्री के बाएं अंग का फड़कना भी शुभ माना जाता है। इसलिए हम यहां पर पुरुष के अंगों के बारे में जानेंगे।
सीना फड़कने का मतलब
अगर किसी व्यक्ति का सीना फड़कता है। तो यह एक शुभ संकेत ही समझना चाहिए। क्योंकि यह विजय का प्रतीक होता है। लेकिन इसमें भी दाहिनी और बाई छाती का अलग-अलग अर्थ होता है।
दाहिने छाती फड़कने से क्या होता है?
अगर किसी व्यक्ति का दाहिने छाती फड़कता है तो इसे शुभ नहीं कहा जाता क्योंकि यहां आने वाले निकट भविष्य में विपदा का संकेत देता है।
बाई छाती का फड़कना
अगर किसी व्यक्ति का बाई छाती फड़कता है। तो इसे भी शुभ नहीं कहा जाता है। क्योंकि यह जिन जीवन में संघर्ष कराता है।
छाती के मध्य में फड़कना
अगर किसी व्यक्ति का छाती के मध्य में फडकन होने लगता है। तो यह शुभ और अशुभ दोनों समझा जा सकता है। क्योंकि अगर आप किसी पुराने मित्र से मिलते हैं। तो आपको खुशी नहीं होता है। तो यह आपके लिए अशुभ होता है। वही अगर आपको खुशी होता है। तो यह आपके लिए शुभ है। क्योंकि इसका अर्थ होता है। कि आपको अपने किसी पुराने मित्र से मुलाकात होने वाला है।