आज का पंचांग 26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि पर विशेष योग, जानें शुभ मुहूर्त और राशियों पर प्रभाव

महाशिवरात्रि 2025: पावन पर्व का शुभ संयोग
महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। यह दिन शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है और इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है।
इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन चतुर्दशी तिथि होगी, जो शिव आराधना के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इसके साथ ही कई अन्य शुभ संयोग भी बन रहे हैं, जिससे इस महाशिवरात्रि का महत्व और अधिक बढ़ गया है।
महाशिवरात्रि 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: त्रयोदशी तिथि समाप्त – सुबह 9:19 बजे
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: सुबह 9:19 बजे से
- नक्षत्र: श्रवण नक्षत्र समाप्त – शाम 4:10 बजे
- धनिष्ठा नक्षत्र प्रारंभ: शाम 4:10 बजे से
- योग: परीघ योग समाप्त – रात्रि 2:26 बजे
- शिवयोग प्रारंभ: रात्रि 2:26 बजे से
- चंद्रमा की स्थिति: मकर राशि में, रात्रि 3:50 के बाद कुंभ राशि में प्रवेश
- सूर्य की स्थिति: मीन राशि, शतभिषा नक्षत्र में
महाशिवरात्रि 2025: पूजा का सर्वोत्तम मुहूर्त
🔹 अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:37 से दोपहर 12:22 तक
🔹 निशिता काल पूजा: रात्रि 12:09 से रात्रि 12:59 तक
🔹 प्रथम प्रहर पूजा: शाम 6:30 से रात 9:30 तक
🔹 द्वितीय प्रहर पूजा: रात 9:30 से रात 12:30 तक
🔹 तृतीय प्रहर पूजा: रात 12:30 से सुबह 3:30 तक
🔹 चतुर्थ प्रहर पूजा: सुबह 3:30 से सुबह 6:30 तक
इन चारों प्रहरों में शिवलिंग का अभिषेक करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि पर शिव पूजन विधि
- प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव के मंदिर जाएं या घर पर शिवलिंग की स्थापना करें।
- शुद्ध जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।
- बिल्वपत्र, धतूरा, भस्म और सफेद फूल अर्पित करें।
- शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
- रात्रि जागरण करें और चार प्रहरों में भगवान शिव की पूजा करें।
- व्रत का पालन करें और फलाहार करें।
- संपूर्ण रात्रि भगवान शिव की आराधना करें और अगले दिन पारण करें।
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व
- पापों का नाश: इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
- मोक्ष की प्राप्ति: महाशिवरात्रि पर व्रत करने और शिव आराधना से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- सौभाग्य में वृद्धि: विवाहित स्त्रियों के लिए यह व्रत अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
- स्वास्थ्य लाभ: इस दिन उपवास करने से शरीर की ऊर्जा शुद्ध होती है और सकारात्मकता बढ़ती है।
महाशिवरात्रि 2025: ज्योतिषीय विशेषता
इस वर्ष महाशिवरात्रि पर शिवयोग और चतुर्दशी तिथि का अद्भुत संयोग बन रहा है, जिससे यह अत्यंत शुभ फलदायी होगी।
- शिवयोग – इस योग में भगवान शिव की उपासना शीघ्र फल देती है।
- धनिष्ठा नक्षत्र – यह नक्षत्र आर्थिक समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने वाला माना जाता है।
- राहुकाल – दोपहर 12:00 से दोपहर 1:25 तक (इस दौरान शुभ कार्य करने से बचें)।
महाशिवरात्रि पर विशेष उपाय
- महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
- भगवान शिव को जल में काले तिल मिलाकर अर्पित करें।
- गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें।
- रुद्राक्ष की माला से ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें।
- कुंवारी कन्याएं शिवलिंग पर हल्दी और कुमकुम चढ़ाकर विवाह की प्रार्थना करें।
महाशिवरात्रि के अन्य पर्व और महत्त्वपूर्ण घटनाएं
- श्री बैद्यनाथ जयंती – बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन का विशेष महत्व है।
- कृति वासेश्वर दर्शन – इस दिन भगवान शिव के कृति वासेश्वर स्वरूप की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
- चतुर्दशी लिंग पूजा – इस दिन शिवलिंग की विशेष पूजा से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा पर्व है, जो आत्मशुद्धि, आध्यात्मिक उन्नति और मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष माना जाता है। इस वर्ष, विशेष योग और शुभ संयोग इसे और भी महत्वपूर्ण बना रहे हैं।
शिव भक्तों के लिए यह दिन सर्वश्रेष्ठ है, जब वे शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। अतः इस दिन विधिपूर्वक उपवास, पूजा और रात्रि जागरण करके भगवान शिव की कृपा प्राप्त करें और जीवन को सुख-समृद्धि से भरपूर बनाएं।
ॐ नमः शिवाय