13 मार्च 2025 पंचांग: होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, तिथि, नक्षत्र और राहुकाल

दिनांक और वार
दिनांक: 13 मार्च 2025, गुरुवार
हिंदू कैलेंडर के अनुसार: फाल्गुन मास, शुक्ल पक्ष, चतुर्दशी तिथि
सूर्योदय और सूर्यास्त
सूर्योदय: प्रातः 6:06 बजे
सूर्यास्त: सायं 5:54 बजे
तिथि
चतुर्दशी तिथि – सुबह 10:02 बजे तक
पूर्णिमा तिथि – सुबह 10:02 बजे से प्रारंभ
नक्षत्र
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र – अगली सुबह 5:30 बजे तक
उसके बाद उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र प्रारंभ
योग
धृति योग – दोपहर 12:49 बजे तक
उसके बाद शूल योग प्रारंभ
चंद्रमा की स्थिति
आज चंद्रमा सिंह राशि में स्थित रहेंगे
सूर्य की स्थिति
आज सूर्य कुंभ राशि में स्थित रहेंगे
सूर्य पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में स्थित रहेंगे
राहुकाल
दोपहर 1:28 से 2:57 तक
यमगंड काल
सुबह 6:06 से 7:34 तक
गुलिक काल
सुबह 10:31 से दोपहर 12:00 तक
मृत्युबाण
आज पूरे दिन रहेगा और रात्रि 9:23 बजे समाप्त होगा
भद्रा काल
सुबह 10:02 से रात्रि 10:37 तक
अभिजीत मुहूर्त
सुबह 11:36 से दोपहर 12:23 तक
व्रत और त्योहार
होलिका दहन 2025 (Holika Dahan 2025)
13 मार्च 2025 को होलिका दहन मनाया जाएगा। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
भद्रा सुबह 10:02 से रात्रि 10:37 तक रहेगी। इसलिए होलिका दहन भद्रा समाप्त होने के बाद रात्रि 10:37 के बाद करना शुभ रहेगा।
होलिका दहन की पूजा विधि
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।
- लकड़ियों और गोबर के उपलों से होलिका तैयार करें।
- गंगाजल, रोली, हल्दी, चावल, पुष्प, गेंहू, उड़द, मूंग, चना, नारियल आदि चढ़ाएं।
- परिक्रमा करते हुए होलिका की पूजा करें और शुभ मुहूर्त में अग्नि प्रज्वलित करें।
- होलिका की राख को तिलक के रूप में लगाना शुभ माना जाता है।
होलिका दहन का महत्व
होलिका दहन का धार्मिक, पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व है। यह पर्यावरण को शुद्ध करता है और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।
होलिका दहन से जुड़ी मान्यताएँ
- होलिका दहन के समय गेंहू और चने को भूनना और प्रसाद के रूप में ग्रहण करना शुभ माना जाता है।
- इस दिन तिलक करने और अग्नि में नारियल अर्पित करने से बुरी नजर दूर होती है।
- विवाहित महिलाएँ अपने परिवार की खुशहाली के लिए होलिका की परिक्रमा करती हैं।
होली 2025 (Holi 2025)
होली का पर्व 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। यह रंगों और उल्लास का त्योहार है। इस दिन लोग अबीर-गुलाल खेलते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं।