अन्नप्राशन मुहूर्त 2025, दिनांक, दिन, मुहूर्त की समयावधि | Annaprashan Shubh Muhurat

मुहूर्त पूछे

आज हम अन्नप्राशन संस्कार मुहूर्त अर्थात बच्चे को पहली बार भोजन कराने के बारे में जानेंगे। यह मुहूर्त में पड़ने वाले शुभ मुहूर्त में से एक हैं। यहां पर आपको पंचांग द्वारा निकाला गया शुभ मुहूर्त दे रहे हैं। इस मुहूर्त में आप अपने बच्चे का अन्नप्राशन संस्कार कर सकते हैं।

अन्नप्राशन मुहूर्त
अन्नप्राशन मुहूर्त

अन्नप्राशन संस्कार का मुहूर्त जनवरी 2025

दिनांकवारसमय
2 जनवरी 2025गुरुवारसुबह 6:46 से सुबह 10:56 तक,
दोपहर 2:01 से मध्य रात्रि तक
6 जनवरी 2025सोमवारसुबह 6:45 से सुबह 10:38 तक,
दोपहर 1:43 से शाम 6:30 तक
31 जनवरी 2025शुक्रवारसुबह 6:34 से सुबह 7:36 तक

अन्नप्राशन संस्कार का मुहूर्त फरवरी 2025

दिनांकवारसमय
7 फरवरी 2025शुक्रवारसुबह 6:30 से सुबह 8:22 तक,
सुबह 9:50 से शाम 5:45 तक

अन्नप्राशन संस्कार का मुहूर्त मार्च 2025

दिनांकवारसमय
6 मार्च 2025गुरुवारसुबह 9:41 से शाम 3:03 तक
24 मार्च 2025सोमवारसुबह 8:34 से दोपहर 12:27 तक

अन्नप्राशन संस्कार का मुहूर्त कैसे देखें?

अगर आप स्वयं अन्नप्राशन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करना चाहते हैं। तो उसके लिए आपके पास पंचांग का होना अति आवश्यक है। क्योंकि पंचांग के माध्यम से तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण आदि के बारे में जाना जा सकता है। अन्नप्राशन संस्कार का मुहूर्त देखने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है‌। जिससे एक शुभ मुहूर्त का चयन किया जा सके।

यहां पर हम अन्नप्राशन संस्कार का मुहूर्त के तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण आदि के बारे में बताने जा रहे हैं। यह तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण आदि को देखकर ही एक शुभ मुहूर्त का चयन किया जाएगा।

नक्षत्र – अन्नप्राशन संस्कार के लिए रोहिणी, तीनों उत्तरा, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, हस्त, पुष्य, अश्विनी, अभिजीत, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, स्वाती, शतभिषा आदि नक्षत्र शुभ होते हैं।

तिथि – अन्नप्राशन संस्कार के लिए द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, त्रयोदशी और पूर्णिमा शुभ तिथि होता है।

वार – अन्नप्राशन संस्कार के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार शुभ वार होते हैं।

लग्न – अंतिम संस्कार के लिए वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, मकर और कुंभ लग्न होते हैं।

इस तरह आप नक्षत्र, तिथि, वार और लग्न को देखकर एक अन्नप्राशन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त का चयन कर सकते हैं।

अन्नप्राशन संस्कार क्यों किया जाता है?

हिंदू धर्म में 16 संस्कार होते हैं। इन 16 संस्कारों में से एक संस्कार अन्नप्राशन संस्कार है। इस संस्कार को बाल्यावस्था में किया जाता है। जब बच्चे के जन्म के समय से लेकर 6 माह तक के बच्चे हो जाते हैं। तब अन्नप्राशन संस्कार किया जाता है। अन्नप्राशन का अर्थ होता है। (पहली बार अन्न खिलाना) यानी जब बच्चे को पहली बार अन्न खिलाया जाता है। तो उसे ही हम अन्नप्राशन कहते हैं।

इस प्रक्रिया को करने के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है। इसे ही हम अन्नप्राशन का शुभ मुहूर्त कहते हैं। और यह प्रक्रिया शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। क्योंकि अन्नप्राशन संस्कार में बच्चे को पहली बार भोजन कराया जाता है। जो भी कार्य पहली बार किया जाता है, या किसी कार्य का शुभारंभ किया जाता है। तो उसे शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए। क्योंकि इसका फल अति सुख प्राप्त होता है।

अन्नप्राशन मुहूर्त का महत्व

अगर हम अन्नप्राशन के महत्व के बारे में बात करें। तो यह हमें भली-भांति ज्ञात है। कि सभी प्राणियों के लिए अन्न अति आवश्यक है। यहां तक कि हमारे गीता में भी कहा गया है, कि अन्न से ही प्राणी का जीवन है। अन्न हमारे शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है। और प्रत्येक प्राणी के लिए ऊर्जा अति आवश्यक है।

इसलिए जब बच्चे का जन्म होता है। तो बच्ची के जन्म समय से 6 माह के आयु तक उस बच्चे को मां का दूध पिलाया जाता है। क्योंकि उस बच्चे के लिए सबसे पौष्टिक आहार वही होता है। लेकिन जब बच्चे का आयु 6 माह से ऊपर का होता है। तब उस बच्चे को भोजन की भी आवश्यकता पड़ती है। इसलिए 6 माह के आयु के बाद बच्चे का अन्नप्राशन किया जाता है।

अन्नप्राशन संस्कार कैसे किया जाता है?

ऊपर हमने जाना अन्नप्राशन संस्कार किसे कहते हैं? अब हम जानेंगे की अन्नप्राशन संस्कार को कैसे किया जाता है? अन्नप्राशन संस्कार को करने के लिए सबसे पहले बच्चे के मामा को बुलाया जाता है। मामा ही बच्चे को अपनी गोद में बिठाकर अन्न खिलाते हैं।

जब बच्चे को पहला निवाला खिलाया जाता है। तब उसके बाद घर के सभी सदस्य उस बच्चे को आशीर्वाद देते हैं। और उस बच्चे को उपहार स्वरूप कुछ भी दिया जाता है। जब यह संस्कार किया जा रहा होता है। तब उस समय वहां पर बच्चे के सामने सोने के आभूषण, खाना, कलम, किताब और मिट्टी रखा रहता है।

ऐसा माना जाता है, कि बच्चा जिस वस्तु पर हाथ रखेगा। वैसा ही उसका भविष्य होगा। जैसे मान लीजिए अगर बच्चे ने सोना पर हाथ रखा तो वहां धनवान होगा, अगर वही बच्चा खाने पर हाथ रखता है तो वहां दयावान रहेगा, वहीं अगर कलम पर हाथ रखता है तो वह बुद्धिमान रहेगा, किताब पर अगर हाथ रखेगा तो वह बच्चा बहुत जल्द ही सभी चीजों को सीखने वाला होगा, मिट्टी पर हाथ रख दे तो उसके पास काफी मात्रा में संपत्ति रहता है।

शुभ मुहूर्त 

We will be happy to hear your thoughts

Leave a reply

You cannot copy content of this page

www.muhuratam.com
Logo