चैत्र नवरात्रि 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पंचांग और कलश स्थापना विधि
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चैत्र नवरात्रि 2025: तिथि, मुहूर्त और पंचांग विवरण
चैत्र नवरात्रि 2025 का शुभारंभ 30 मार्च, रविवार को हो रहा है। इस दिन माता दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना (कलश स्थापना) की जाती है, जिससे पूरे नौ दिनों तक शक्ति की आराधना का शुभारंभ होता है। आइए जानते हैं इस दिन का विस्तृत पंचांग, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
आज का पंचांग (30 मार्च 2025, रविवार)
- तिथि: प्रतिपदा तिथि दोपहर 2:14 पर समाप्त होगी, उसके बाद द्वितीया तिथि आरंभ होगी।
- वार: रविवार
- पक्ष: चैत्र शुक्ल पक्ष
- सूर्योदय: प्रातः 5:53 पर
- सूर्यास्त: शाम 6:07 पर
- नक्षत्र: रेवती नक्षत्र शाम 6:14 पर समाप्त होगा, उसके बाद अश्विनी नक्षत्र आरंभ होगा।
- योग: ऐन्द्र योग रात्रि 7:40 तक रहेगा, उसके बाद वैधृति योग आरंभ होगा।
- चंद्रमा: शाम 6:14 तक मीन राशि में रहेंगे, उसके बाद मेष राशि में प्रवेश करेंगे।
- सूर्य राशि: मीन राशि
- सूर्य नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र
- राहुकाल: शाम 4:35 से शाम 6:07 तक
- यमगंड काल: दोपहर 12:00 से दोपहर 1:30 तक
- गुलिक काल: दोपहर 3:03 से शाम 4:35 तक
- पंचक समाप्ति: शाम 6:14 पर पंचक समाप्त हो जाएगा।
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:35 से दोपहर 12:24 तक
चैत्र नवरात्रि 2025: शुभारंभ और कलश स्थापना का समय
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन कलश स्थापना, ध्वजारोहण और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
- पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 5:53 से दोपहर 2:14 तक
- कलश स्थापना का शुभ समय: प्रातः 5:53 से दोपहर 2:14 तक
- घटस्थापना के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त (सुबह 11:35 से दोपहर 12:24 तक)
कलश स्थापना विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- एक मिट्टी के पात्र में जौ बोएं और उसके ऊपर कलश स्थापित करें।
- कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें।
- कलश पर स्वस्तिक बनाएं और लाल कपड़े से इसे सजाएं।
- देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और अखंड ज्योति जलाएं।
- दुर्गा सप्तशती, मंत्र जाप और आरती करें।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि को हिंदू पंचांग के अनुसार विशेष स्थान प्राप्त है। इसे वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है, जो हिन्दू नववर्ष का आरंभ भी दर्शाता है। यह समय साधना, उपवास और मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है।