गरबा और डांडिया: नवरात्रि के पारंपरिक नृत्य, महत्व, इतिहास और करने की विधि
नवरात्रि भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का अवसर होता है, लेकिन इसके साथ ही इस दौरान पारंपरिक नृत्य भी विशेष रूप से प्रचलित होते हैं। गरबा और डांडिया नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले प्रमुख लोक नृत्य हैं, जो गुजरात से निकलकर पूरे देश और यहां तक कि विदेशों तक लोकप्रिय हो चुके हैं।

यह लेख आपको गरबा और डांडिया के महत्व, उनकी उत्पत्ति, इतिहास, करने की विधि और पारंपरिक परिधानों के बारे में विस्तृत जानकारी देगा, जिससे आप नवरात्रि के इन विशेष नृत्यों को गहराई से समझ सकें।
गरबा और डांडिया का महत्व
1. धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
- गरबा और डांडिया नृत्य माता दुर्गा की आराधना और शक्ति की उपासना से जुड़े हुए हैं।
- गरबा की परिक्रमा का अर्थ सृष्टि चक्र और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक होता है।
- डांडिया को रासलीला से जोड़कर देखा जाता है, जो भगवान कृष्ण और गोपियों के प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
2. सांस्कृतिक महत्व
- ये नृत्य गुजरात की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।
- गरबा और डांडिया सामूहिक नृत्य हैं, जो समाज में सामूहिकता, सौहार्द और आनंद को बढ़ावा देते हैं।
3. स्वास्थ्य लाभ
- गरबा और डांडिया करने से शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी, स्टैमिना और फिटनेस में सुधार होता है।
- हृदय गति बढ़ाने के कारण यह एक कार्डियो वर्कआउट के रूप में भी काम करता है।
गरबा का इतिहास और उत्पत्ति
गरबा की उत्पत्ति गुजरात में हुई और यह संस्कृत शब्द “गर्भ” से लिया गया है, जिसका अर्थ है गर्भ या ब्रह्मांडीय ऊर्जा। गरबा नृत्य एक दीप (दीया) को केंद्र में रखकर किया जाता है, जो जीवन और शक्ति का प्रतीक है।
प्राचीन काल में यह नृत्य विशेष रूप से माँ अम्बे, दुर्गा और शक्ति की आराधना के लिए किया जाता था। धीरे-धीरे इसने एक सांस्कृतिक रूप लिया और आज पूरे भारत में नवरात्रि के दौरान इसे किया जाता है।
डांडिया रास का इतिहास और उत्पत्ति
डांडिया नृत्य की जड़ें भगवान कृष्ण और गोपियों की रासलीला से जुड़ी हुई हैं। यह नृत्य कृष्ण की लीला का प्रतीक है, जिसमें वे अपनी बांसुरी की धुन पर गोपियों के साथ नृत्य करते थे।
गुजरात में इसे “डांडिया रास” कहा जाता है, जो दो लकड़ी की छड़ियों (डांडियों) के साथ किया जाता है। यह नृत्य सामूहिकता, ऊर्जा और खुशी का प्रतीक है और आज यह नवरात्रि का एक अहम हिस्सा बन चुका है।
गरबा और डांडिया करने की विधि
1. गरबा नृत्य कैसे करें?
गरबा नृत्य आमतौर पर समूह में किया जाता है और इसकी एक विशेष कोरियोग्राफी होती है:
- चरण संयोजन: धीरे-धीरे घड़ी की दिशा में घूमते हुए नृत्य करना।
- हाथों की मुद्राएँ: हाथों को ऊंचा उठाकर ताल मिलाना।
- रिदम का अनुसरण: गरबा संगीत की ताल के अनुसार मूवमेंट करना।
- घूमने की शैली: गरबा में डांडिया रास की तरह स्टिक्स का उपयोग नहीं होता, बल्कि तालियों और शरीर की मूवमेंट का समन्वय होता है।
गरबा के प्रसिद्ध स्टेप्स:
- दो ताली गरबा (दो बार ताली बजाकर घूमना)
- तीन ताली गरबा (तीन बार ताली बजाकर स्टेप लेना)
- हिन्च (स्लो म्यूजिक पर घूमते हुए नृत्य करना)
2. डांडिया नृत्य कैसे करें?
डांडिया नृत्य में लकड़ी की छड़ियों (डांडियों) का उपयोग किया जाता है। इसे जोड़ी में किया जाता है:
- डांडियों की ताल: हर बीट पर एक बार डांडी से टकराना।
- कदमों की लय: घड़ी की दिशा में या उल्टी दिशा में घूमते हुए कदम मिलाना।
- साझेदारी: नृत्य जोड़े में किया जाता है, जिसमें दो लोग एक-दूसरे की डांडियों को टकराते हैं।
- गति: पहले धीमी गति से और फिर तेज़ रफ्तार में किया जाता है।
डांडिया के प्रसिद्ध स्टेप्स:
- सिंपल डांडिया – साधारण एक-के-बाद-एक हिटिंग स्टाइल।
- डबल बीट डांडिया – तेज़ बीट्स पर डांडिया टकराने का स्टाइल।
- गोल घेरा स्टेप – सभी लोग घड़ी की दिशा में घूमते हुए स्टेप्स लेते हैं।
गरबा और डांडिया के लिए पारंपरिक परिधान
गरबा में पहने जाने वाले कपड़े
- महिलाएँ घाघरा-चोली पहनती हैं, जो रंगीन और कढ़ाईदार होती हैं।
- पुरुष कुर्ता-पायजामा या केडिया धोती पहनते हैं।
डांडिया में पहने जाने वाले कपड़े
- महिलाएँ चनिया-चोली पहनती हैं और सिर पर दुपट्टा रखती हैं।
- पुरुष पारंपरिक केडिया और धोती-कुर्ता पहनते हैं।
गरबा और डांडिया सिर्फ नृत्य नहीं हैं, बल्कि ये भक्ति, ऊर्जा, संस्कृति और समुदाय का प्रतीक हैं। नवरात्रि के दौरान इन नृत्यों को करने से न केवल आध्यात्मिक अनुभूति होती है, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी सुधरता है।
अगर आप भी इस नवरात्रि गरबा और डांडिया करने की योजना बना रहे हैं, तो सही तकनीक, पारंपरिक परिधान और ऊर्जा के साथ इसमें भाग लें और माँ अम्बे की कृपा प्राप्त करें।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: गरबा और डांडिया में क्या अंतर है?
A: गरबा बिना डांडियों के किया जाता है, जबकि डांडिया लकड़ी की छड़ियों के साथ किया जाता है।
Q2: क्या डांडिया सिर्फ गुजरात में किया जाता है?
A: नहीं, अब डांडिया पूरे भारत और विदेशों में भी लोकप्रिय हो गया है।
Q3: क्या गरबा और डांडिया सीखना मुश्किल है?
A: नहीं, ये सरल स्टेप्स से शुरू किए जा सकते हैं और थोड़े अभ्यास से इन्हें सीखा जा सकता है।