भारतीय ज्योतिष में समय का विशेष महत्व होता है। किसी भी कार्य की सफलता और असफलता का संबंध ग्रहों की स्थिति और शुभ-अशुभ मुहूर्त से जुड़ा होता है। ऐसे में गुलिक काल (Gulika Kaal) और यमगंड काल (Yamaganda Kaal) का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। इन दोनों अवधियों को विभिन्न कार्यों के लिए शुभ या अशुभ माना जाता है।

इस लेख में हम गुलिक काल और यमगंड काल का विस्तृत विवरण देंगे, ताकि आप अपने दैनिक जीवन में शुभ समय का चयन कर सकें।
आज का गुलिक काल और यमगंड काल
स्थान: दिल्ली
तारीख:
सूर्योदय:
सूर्यास्त:
गुलिक काल:
यमघंटक:
गुलिक काल (Gulika Kaal) क्या है?
गुलिक काल शनि ग्रह से जुड़ा हुआ एक विशेष समय होता है। इसे शनि का पुत्र माना जाता है और यह समय कुछ विशेष कार्यों के लिए शुभ और कुछ के लिए अशुभ माना जाता है।
गुलिक काल की विशेषताएँ:
- शुभता: गुलिक काल को विशेष रूप से स्थायी कार्यों के लिए शुभ माना जाता है, जैसे – घर बनाना, जमीनी निवेश, वाहन खरीदना करना आदि।
- अशुभता: इस समय में शुभ कार्यों जैसे विवाह, मुंडन, नए व्यापार की शुरुआत करने से बचना चाहिए।
- साप्ताहिक गुलिक काल: गुलिक काल प्रत्येक दिन भिन्न-भिन्न समय पर आता है। यह उस दिन के सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच में होता है।
गुलिक काल की गणना:
प्रत्येक दिन गुलिक काल को इस प्रकार विभाजित किया जाता है:
दिन | गुलिक काल |
---|---|
रविवार | 3:00 से 4:30 घंटे बाद |
सोमवार | 1:30 से 3:00 घंटे बाद |
मंगलवार | 12:00 से 1:30 घंटे बाद |
बुधवार | 10:30 से 12:00 घंटे बाद |
गुरुवार | 9:00 से 10:30 घंटे बाद |
शुक्रवार | 7:30 से 9:00 घंटे बाद |
शनिवार | 6:00 से 7:30 घंटे बाद |
यमगंड काल (Yamaganda Kaal) क्या है?
यमगंड काल को विशेष रूप से अशुभ समय माना जाता है। यह राहु ग्रह से संबंधित होता है और इस दौरान शुभ कार्यों को करने से बचने की सलाह दी जाती है।
यमगंड काल की विशेषताएँ:
- अशुभता: इस काल में कोई भी नया कार्य, यात्रा, शुभ कार्यों की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
- नकारात्मक प्रभाव: इस समय किए गए कार्यों में बाधाएँ, विलंब या असफलता का सामना करना पड़ सकता है।
- मृत्यु से संबंध: यमगंड काल का संबंध मृत्यु के देवता ‘यम’ से होता है, इसलिए इसे अशुभ माना जाता है।
यमगंड काल की गणना:
हर दिन यमगंड काल इस प्रकार आता है:
दिन | यमगंड काल |
---|---|
रविवार | 12:00 से 1:30 बजे तक |
सोमवार | 10:30 से 12:00 बजे तक |
मंगलवार | 9:00 से 10:30 बजे तक |
बुधवार | 7:30 से 9:00 बजे तक |
गुरुवार | 6:00 से 7:30 बजे तक |
शुक्रवार | 3:00 से 4:30 बजे तक |
शनिवार | 1:30 से 3:00 बजे तक |
गुलिक काल और यमगंड काल में क्या करें और क्या न करें?
कार्य | गुलिक काल | यमगंड काल |
---|---|---|
नया व्यापार शुरू करना | शुभ | अशुभ |
विवाह समारोह | अशुभ | अशुभ |
यात्रा प्रारंभ करना | शुभ | अशुभ |
भूमि पूजन | शुभ | अशुभ |
अंतिम संस्कार | कोई निषेध नहीं | शुभ |
पढ़ाई शुरू करना | शुभ | अशुभ |
गुलिक काल और यमगंड काल से बचाव के उपाय
अगर किसी कारणवश आपको गुलिक काल या यमगंड काल में कोई कार्य करना पड़े, तो निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
- गुलिक काल में – कार्य से पहले शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें।
- यमगंड काल में – राहु मंत्र “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” का जाप करें।
- भगवान शिव या हनुमान जी की पूजा करें, क्योंकि ये शनि और राहु के नकारात्मक प्रभाव को कम करते हैं।
- किसी वृद्ध या गरीब व्यक्ति को दान दें, विशेष रूप से काला तिल, सरसों का तेल या उड़द की दाल।
गुलिक काल और यमगंड काल भारतीय ज्योतिष में महत्वपूर्ण अवधियाँ हैं, जो जीवन के विभिन्न कार्यों पर प्रभाव डाल सकती हैं। यदि आप शुभ-अशुभ समय का ध्यान रखते हैं और सही मुहूर्त में कार्य करते हैं, तो सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- गुलिक काल कुछ कार्यों के लिए शुभ होता है, जबकि यमगंड काल पूरी तरह से अशुभ होता है।
- यमगंड काल में कोई भी नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
- यदि मजबूरी में इन समयों में कोई कार्य करना हो, तो उचित ज्योतिषीय उपाय करने चाहिए।
इस जानकारी का सही उपयोग करके आप अपने जीवन को और अधिक सफल और समृद्ध बना सकते हैं।