नाड़ी दोष और भकूट दोष: कारण, प्रभाव और ज्योतिषीय उपाय | विवाह से पहले जरूर जानें!
हिंदू ज्योतिष में विवाह से पहले कुंडली मिलान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। कुंडली मिलान के दौरान आठ प्रकार के गुणों का परीक्षण किया जाता है, जिसे अष्टकूट मिलान कहा जाता है। इसमें नाड़ी दोष और भकूट दोष दो सबसे महत्वपूर्ण दोष माने जाते हैं, क्योंकि ये दंपत्ति के वैवाहिक जीवन और संतान सुख को प्रभावित कर सकते हैं।

इस लेख में हम नाड़ी दोष और भकूट दोष को विस्तार से समझेंगे, इनके कारण, प्रभाव और निवारण के उपायों पर गहराई से चर्चा करेंगे।
नाड़ी दोष क्या होता है?
नाड़ी दोष तब बनता है जब वर और वधू की नाड़ी (Nadi) एक जैसी होती है। ज्योतिष में कुल तीन प्रकार की नाड़ी बताई गई हैं:
- आदि नाड़ी (Adi Nadi)
- मध्य नाड़ी (Madhya Nadi)
- अंत्य नाड़ी (Antya Nadi)
नाड़ी दोष का महत्व
- विवाह में नाड़ी दोष होने पर वर-वधू के बीच मतभेद, संतान सुख में बाधा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- यदि किसी जोड़े की एक ही नाड़ी होती है, तो इसे नाड़ी दोष कहा जाता है और इसे अशुभ माना जाता है।
- नाड़ी दोष होने पर विवाह के लिए 0 अंक मिलते हैं, जो इसे बहुत गंभीर दोष बनाता है।
नाड़ी दोष के प्रभाव
1. पति-पत्नी के बीच संघर्ष
यदि नाड़ी दोष है, तो विवाह के बाद पति-पत्नी के बीच विचारों का मेल नहीं बैठता, जिससे विवाद और मतभेद बढ़ सकते हैं।
2. संतान प्राप्ति में बाधा
नाड़ी दोष के कारण संतान प्राप्ति में समस्या हो सकती है, या संतान जन्म के बाद कमजोर हो सकती है।
3. स्वास्थ्य समस्याएं
नाड़ी दोष के कारण पति-पत्नी में से किसी एक को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे बार-बार बीमार पड़ना या दीर्घकालिक बीमारी होना।
4. वैवाहिक जीवन में अशांति
इस दोष के कारण पति-पत्नी के बीच भावनात्मक दूरी बनी रह सकती है, जिससे वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं रहता।
नाड़ी दोष के निवारण के उपाय
1. महामृत्युंजय मंत्र का जाप
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
- इस मंत्र का 1,25,000 बार जाप करने से नाड़ी दोष का प्रभाव कम हो सकता है।
2. शिव पूजन
- नाड़ी दोष निवारण के लिए भगवान शिव की आराधना सबसे प्रभावी उपाय है।
- सोमवार को शिवलिंग पर गंगाजल, बेलपत्र और दूध चढ़ाना लाभकारी होता है।
3. रुद्राभिषेक करवाना
- भगवान शिव का रुद्राभिषेक करवाने से नाड़ी दोष के प्रभाव कम किए जा सकते हैं।
4. भगवान विष्णु से कन्या का विवाह
- यदि कन्या की कुंडली में नाड़ी दोष है, तो उसका भगवान विष्णु या तुलसी के पौधे से विवाह कराकर दोष का प्रभाव कम किया जा सकता है।
5. विशेष दान करना
- जरूरतमंदों को स्वर्ण, अनाज, वस्त्र, गाय आदि दान करने से नाड़ी दोष के बुरे प्रभाव कम हो सकते हैं।
भकूट दोष क्या है?
भकूट दोष तब बनता है जब वर और वधू की राशियाँ आपस में अनुकूल नहीं होतीं।
भकूट दोष बनने की स्थिति
यदि पति-पत्नी की राशियाँ निम्नलिखित स्थितियों में हों, तो भकूट दोष बनता है:
- 12-2 का भकूट दोष (द्वादश और द्वितीय भाव) – यह आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न करता है।
- 6-8 का भकूट दोष (षष्ठम और अष्टम भाव) – यह वैवाहिक जीवन को कष्टकारी बना सकता है।
- 5-9 का भकूट दोष (पंचम और नवम भाव) – यह संतान प्राप्ति में बाधा डाल सकता है।
भकूट दोष के प्रभाव
1. दांपत्य जीवन में मतभेद
- पति-पत्नी के बीच झगड़े और वैचारिक मतभेद हो सकते हैं।
2. आर्थिक समस्याएँ
- भकूट दोष होने से धन की हानि और अस्थिरता बनी रह सकती है।
3. संतान सुख में बाधा
- यदि कुंडली में भकूट दोष है, तो संतान प्राप्ति में कठिनाई हो सकती है।
भकूट दोष के निवारण के उपाय
1. भगवान शिव की उपासना
- ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना शुभ होता है।
- रुद्राभिषेक करवाने से दोष का प्रभाव कम हो सकता है।
2. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ
- नियमित रूप से विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भकूट दोष के दुष्प्रभाव कम किए जा सकते हैं।
3. पीपल के पेड़ की पूजा
- शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाकर, सरसों के तेल का दीपक जलाने से दोष के दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं।
4. मंत्र जाप
- भकूट दोष से मुक्ति के लिए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप लाभकारी होता है।
क्या नाड़ी दोष और भकूट दोष होने पर विवाह संभव है?
- यदि नाड़ी दोष या भकूट दोष मिलान में पाया जाता है, तो विवाह से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेना आवश्यक है।
- उचित उपाय और पूजा-पाठ से इन दोषों के दुष्प्रभाव कम किए जा सकते हैं।
सावधानिया
- नाड़ी दोष और भकूट दोष विवाह के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि ये पति-पत्नी के रिश्ते और संतान सुख को प्रभावित कर सकते हैं।
- यदि कुंडली में ये दोष पाए जाते हैं, तो उपयुक्त उपायों और धार्मिक अनुष्ठानों द्वारा इनके प्रभावों को कम किया जा सकता है।
- विवाह से पहले एक अच्छे ज्योतिषी से परामर्श लेना उचित होता है।
यह लेख केवल ज्योतिषीय और सांस्कृतिक जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। नाड़ी दोष और भकूट दोष से संबंधित उपायों की प्रभावशीलता व्यक्ति विशेष की कुंडली और परिस्थितियों पर निर्भर करती है। किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय से पहले योग्य ज्योतिषी या विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है। इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है, जिसे व्यक्तिगत विश्वास और विवेक के अनुसार अपनाया जाना चाहिए।