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नवरात्रि का पौराणिक महत्व: देवी दुर्गा और महिषासुर की कथा | नवरात्रि पूजा विधि और नौ देवी के नाम

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नवरात्रि एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जिसे शक्ति की उपासना के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध और देवी की विजय को दर्शाता है। इस लेख में हम “नवरात्रि का पौराणिक महत्व,” “देवी दुर्गा और महिषासुर की कथा,” तथा अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

नवरात्रि का पौराणिक महत्व
नवरात्रि का पौराणिक महत्व

नवरात्रि का पौराणिक महत्व

नवरात्रि संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – “नव” (नौ) और “रात्रि” (रातें)। यह नौ रातों तक चलने वाला पर्व है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान भक्तगण व्रत, पूजा और कीर्तन करते हैं ताकि देवी माँ की कृपा प्राप्त कर सकें।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

  1. असुरों पर देवताओं की विजय – नवरात्रि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।
  2. शक्ति की उपासना – यह पर्व स्त्री शक्ति और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  3. भक्तों के लिए विशेष अवसर – इस दौरान उपवास रखने से आत्म-संयम और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

देवी दुर्गा और महिषासुर की कथा

महिषासुर का अभ्युदय

महिषासुर एक अत्यंत शक्तिशाली असुर था, जिसे भगवान ब्रह्मा से अजेय होने का वरदान प्राप्त था। उसके इस वरदान के अनुसार, कोई भी देवता या पुरुष उसे पराजित नहीं कर सकता था। इस अहंकार में उसने तीनों लोकों पर आक्रमण कर दिया और स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया।

देवी दुर्गा का प्राकट्य

महिषासुर के अत्याचारों से पीड़ित देवताओं ने भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा से सहायता की प्रार्थना की। तब सभी देवताओं ने अपनी शक्तियाँ मिलाकर एक दिव्य स्त्री शक्ति को जन्म दिया, जिसे देवी दुर्गा कहा गया।

महिषासुर और देवी दुर्गा का युद्ध

देवी दुर्गा ने महिषासुर को पराजित करने के लिए नौ दिनों तक युद्ध किया। इस दौरान महिषासुर ने कई रूप धारण किए, लेकिन अंततः देवी ने अपने त्रिशूल से उसका वध कर दिया। इस महान विजय को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूप

हर दिन देवी के एक अलग स्वरूप की पूजा की जाती है:

  1. शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की पुत्री, शक्ति का प्रतीक।
  2. ब्रह्मचारिणी – तपस्या और आत्म-संयम का स्वरूप।
  3. चंद्रघंटा – युद्ध के लिए सुसज्जित, भय नाशक।
  4. कूष्मांडा – सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी।
  5. स्कंदमाता – भगवान कार्तिकेय की माता।
  6. कात्यायनी – असुर संहारिणी, अत्यंत शक्तिशाली।
  7. कालरात्रि – तमस और नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने वाली।
  8. महागौरी – करुणा और शांति का प्रतीक।
  9. सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी।

नवरात्रि उत्सव के विभिन्न रूप

1. शारदीय नवरात्रि

यह नवरात्रि सबसे अधिक लोकप्रिय है और अश्विन मास (सितंबर-अक्टूबर) में आती है।

2. वासंतीय नवरात्रि

चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) में मनाई जाने वाली यह नवरात्रि राम नवमी से जुड़ी होती है।

3. गुप्त नवरात्रि

गुप्त साधकों के लिए विशेष यह नवरात्रि माघ और आषाढ़ माह में आती है।

नवरात्रि पूजन विधि

1. कलश स्थापना

पूजन का आरंभ घट/कलश स्थापना से किया जाता है, जिसमें जल, आम के पत्ते, नारियल और अक्षत रखे जाते हैं।

2. देवी का आह्वान

मंत्रों के माध्यम से देवी का आह्वान किया जाता है।

3. नौ दिनों का व्रत

भक्तजन उपवास रखते हैं और फलाहार ग्रहण करते हैं।

4. कन्या पूजन

अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर पूजन किया जाता है।

FAQs: नवरात्रि का पौराणिक महत्व

1. नवरात्रि का पौराणिक महत्व क्या है?

नवरात्रि शक्ति की उपासना का पर्व है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व धर्म की अधर्म पर विजय, आत्मिक उन्नति और शक्ति-साधना का प्रतीक है।

2. देवी दुर्गा और महिषासुर की कथा क्या है?

महिषासुर, एक अजेय असुर था, जिसे भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि कोई भी पुरुष या देवता उसे नहीं मार सकता। इस कारण देवी दुर्गा का प्राकट्य हुआ, जिन्होंने नौ दिनों तक युद्ध कर अंततः महिषासुर का वध किया।

3. नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूप कौन-कौन से हैं?

नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूप पूजे जाते हैं:

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

4. नवरात्रि के कितने प्रकार होते हैं?

मुख्य रूप से तीन प्रकार की नवरात्रियाँ मनाई जाती हैं:

  • शारदीय नवरात्रि (अश्विन माह, सितंबर-अक्टूबर)
  • वासंतीय नवरात्रि (चैत्र माह, मार्च-अप्रैल)
  • गुप्त नवरात्रि (माघ और आषाढ़ माह में, विशेष साधकों के लिए)

5. नवरात्रि में उपवास क्यों रखा जाता है?

नवरात्रि में उपवास का उद्देश्य आत्मशुद्धि, संयम और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करना है। यह शरीर और मन को शुद्ध करने का एक तरीका है जिससे व्यक्ति ईश्वरीय कृपा प्राप्त कर सके।

6. नवरात्रि के दौरान कौन-कौन से भोग चढ़ाए जाते हैं?

हर दिन माता को अलग-अलग भोग अर्पित किए जाते हैं:

  • शैलपुत्री – घी
  • ब्रह्मचारिणी – चीनी और मिश्री
  • चंद्रघंटा – दूध और खीर
  • कूष्मांडा – मालपुआ
  • स्कंदमाता – केले
  • कात्यायनी – शहद
  • कालरात्रि – गुड़
  • महागौरी – नारियल
  • सिद्धिदात्री – तिल

7. नवरात्रि में कौन से मंत्र का जाप किया जाता है?

माँ दुर्गा की आराधना के लिए निम्न मंत्र का जाप किया जाता है:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”

8. कन्या पूजन का महत्व क्या है?

नवरात्रि के अष्टमी या नवमी दिन कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को माँ दुर्गा का स्वरूप मानकर भोजन कराया जाता है और उन्हें वस्त्र, दक्षिणा आदि दी जाती है।

9. नवरात्रि के दौरान किन चीजों से बचना चाहिए?

नवरात्रि में सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए और लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, बुरे विचारों, क्रोध और नकारात्मकता से बचना चाहिए।

10. क्या नवरात्रि केवल हिंदू धर्म में मनाई जाती है?

मुख्य रूप से यह त्योहार हिंदू धर्म से संबंधित है, लेकिन इसकी आध्यात्मिकता और शक्ति-साधना के कारण कई अन्य समुदायों में भी इसे विशेष सम्मान दिया जाता है।

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