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नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व और सही विधि – अष्टमी और नवमी पर कैसे करें?

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नवरात्रि हिन्दू धर्म में मां दुर्गा की पूजा का एक विशेष पर्व है, जिसे साल में चार बार मनाया जाता है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि सबसे अधिक प्रचलित हैं। इस पावन अवसर पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करके मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस लेख में हम “नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व और विधि”, “अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का महत्व”, “कन्या पूजन करने की सही प्रक्रिया” के साथ विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे

नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व

कन्या पूजन नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठान है। इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक माना जाता है।

1. धार्मिक महत्व

  • शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और साधक को विशेष आशीर्वाद देती हैं।
  • यह पूजन सप्तशती पाठ और दुर्गा पूजन का एक अभिन्न हिस्सा होता है।
  • पुराणों के अनुसार, स्वयं भगवान श्रीराम ने भी लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले कन्या पूजन किया था।

2. आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

  • कन्या पूजन में नौ कन्याओं को मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है।
  • यह पूजन समाज में स्त्री शक्ति के सम्मान और कन्याओं की महत्ता को दर्शाता है।
  • इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि का संचार होता है।

अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि के अंतिम दो दिनों में अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष रूप से कन्या पूजन किया जाता है।

  • अष्टमी तिथि: इसे महागौरी पूजन का दिन माना जाता है, जो सौंदर्य और शांति की देवी हैं। इस दिन कन्या पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  • नवमी तिथि: इसे राम नवमी और सिद्धिदात्री पूजन का दिन माना जाता है। नवमी पर कन्या पूजन करने से जीवन में सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

यदि कोई साधक पूरे नवरात्रि व्रत रखता है और नवमी को कन्या पूजन करता है, तो उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि में कन्या पूजन की सही विधि

1. कन्या पूजन की तैयारी

  • सबसे पहले, 9 कन्याओं और 1 बालक को आमंत्रित करें, जिन्हें माता के 9 स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है।
  • इन कन्याओं की उम्र 2 से 10 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  • पूजा स्थान को स्वच्छ करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

2. कन्याओं का स्वागत और पूजन

  • कन्याओं के पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठाएं।
  • उनके माथे पर रोली, कुमकुम और हल्दी का तिलक लगाएं।
  • उन्हें फूलों की माला पहनाएं और अक्षत (चावल) से आशीर्वाद दें।
  • मंत्र जाप करें: “या देवी सर्वभूतेषु कन्यारूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।”

3. भोजन प्रसाद

  • कन्याओं को पूरी, चना, हलवा और फल का भोग लगाएं।
  • उन्हें आदरपूर्वक भोजन कराएं और प्रसाद के रूप में दक्षिणा, उपहार, वस्त्र, या अन्य आवश्यक वस्तुएं भेंट करें।
  • भोजन के बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।

4. कन्या पूजन के बाद का अनुष्ठान

  • कन्याओं के जाने के बाद, घर के सभी सदस्य मां दुर्गा की आरती करें।
  • यदि आपने कलश स्थापना की है, तो नवमी के दिन उसका विसर्जन करें।

कन्या पूजन से जुड़ी विशेष बातें और सावधानियां

  1. शुद्धता का ध्यान रखें: कन्या पूजन से पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और घर को स्वच्छ रखें।
  2. सत्कार भाव से करें: कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर सम्मान दें।
  3. संपूर्ण विधि करें: यदि संभव हो, तो नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भी आमंत्रित करें, क्योंकि यह पूजा विधि पूर्ण मानी जाती है।
  4. समर्पण भाव रखें: कन्या पूजन करते समय मन में श्रद्धा और भक्ति होनी चाहिए, तभी इसका पूर्ण फल प्राप्त होगा।

नवरात्रि में कन्या पूजन – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. कन्या पूजन कब करना चाहिए – अष्टमी या नवमी को?

कन्या पूजन अष्टमी और नवमी दोनों तिथियों पर किया जा सकता है। यदि पूरे नौ दिनों तक व्रत रखा गया है, तो नवमी के दिन पूजन करना उत्तम माना जाता है। लेकिन यदि किसी कारणवश नवमी को संभव न हो, तो अष्टमी को भी कर सकते हैं।

2. कन्या पूजन में कितनी कन्याओं को बुलाना चाहिए?

शास्त्रों के अनुसार, 9 कन्याओं और 1 बालक (लंगूर) को बुलाना सबसे शुभ माना जाता है। हालांकि, यदि नौ कन्याएं न मिलें, तो 2, 5 या 7 कन्याओं को भी आमंत्रित किया जा सकता है।

3. क्या कन्या पूजन बिना लंगूर (बालक) के किया जा सकता है?

हां, लेकिन शास्त्रों में कन्या पूजन के साथ 1 बालक (लंगूर) को भी शामिल करने का विशेष महत्व बताया गया है। यह बालक भगवान हनुमान जी का प्रतीक होता है और इसे भोग देने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

4. कन्या पूजन में कन्याओं की उम्र कितनी होनी चाहिए?

आमतौर पर, 2 वर्ष से 10 वर्ष की कन्याओं को पूजन के लिए बुलाया जाता है, क्योंकि इस उम्र तक कन्याओं को देवी का स्वरूप माना जाता है।

5. कन्या पूजन के लिए क्या-क्या सामग्री चाहिए?

कन्या पूजन के लिए आवश्यक सामग्री में शामिल हैं:

  • लाल कपड़ा
  • रोली, कुमकुम, हल्दी
  • अक्षत (चावल)
  • फूलों की माला
  • पूरी, चना, हलवा (भोग)
  • फल और मिठाई
  • दक्षिणा और उपहार

6. कन्या पूजन में कौन-सा भोग देना चाहिए?

पूरी, काले चने और हलवे का भोग सबसे शुभ माना जाता है। यह भोग मां दुर्गा को प्रिय है और इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

7. कन्या पूजन में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • कन्याओं का स्वागत सत्कार भाव से करें
  • कन्याओं के पैर धोकर उन्हें सम्मानपूर्वक बैठाएं
  • भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा और उपहार देकर विदा करें
  • शुद्धता और भक्ति भाव बनाए रखें

8. क्या घर पर कन्या पूजन नहीं कर सकते?

हां, यदि घर पर कन्याएं न मिलें, तो किसी मंदिर या गरीब परिवार की कन्याओं को भोजन करवा सकते हैं।

9. क्या कन्या पूजन केवल महिलाएं कर सकती हैं?

नहीं, कोई भी व्यक्ति कन्या पूजन कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला।

10. क्या कन्या पूजन से मनोकामनाएं पूरी होती हैं?

जी हां, शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और सभी इच्छाएं पूरी होती हैं

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