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नवरात्रि के 9 दिनों का महत्व और देवी के नौ स्वरूपों की पूजा विधि | Navratri Pooja Vidhi

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नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है, जो देवी शक्ति की आराधना के लिए समर्पित है। इस दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है—चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ—लेकिन मुख्य रूप से चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का अधिक महत्व है।

नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व
नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व

चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु में आती है और इसे हिंदू नववर्ष का शुभारंभ माना जाता है, जबकि शारदीय नवरात्रि अश्विन मास में आती है और यह सबसे अधिक लोकप्रिय होती है। यह पर्व शक्ति, भक्ति, साधना और आत्मशुद्धि का समय होता है, जिसमें लोग व्रत रखते हैं, मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

नवरात्रि के 9 दिनों का महत्व और देवी के नौ स्वरूपों की पूजा विधि

1. प्रथम दिन – माँ शैलपुत्री की पूजा (Pratipada – Maa Shailputri)

माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। इनका वाहन वृषभ (बैल) है और इनके एक हाथ में त्रिशूल तथा दूसरे हाथ में कमल का फूल होता है। माँ शैलपुत्री नवदुर्गा का पहला स्वरूप हैं और इन्हें शिव की अर्धांगिनी माना जाता है। इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता, शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

पूजा विधि:

  • प्रातः स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें।
  • माँ शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • देवी को चंदन, रोली, अक्षत, सफेद फूल और गाय का घी अर्पित करें।
  • माँ को शुद्ध घी का भोग लगाएं, जिससे आरोग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन माँ शैलपुत्री के इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है:
    “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।”

2. द्वितीय दिन – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा (Dwitiya – Maa Brahmacharini)

माँ ब्रह्मचारिणी तपस्या की देवी हैं, जिन्होंने घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्राप्त किया था। इनके एक हाथ में जप माला और दूसरे में कमंडल रहता है। इनकी पूजा करने से आत्मसंयम, धैर्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि:

  • इस दिन सफेद वस्त्र पहनकर माँ की पूजा करें।
  • देवी को दूध, दही, शक्कर, सफेद फूल और पंचामृत अर्पित करें।
  • उन्हें मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं।
  • माँ के इस मंत्र का जाप करें:
    “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।”

3. तृतीय दिन – माँ चंद्रघंटा की पूजा (Tritiya – Maa Chandraghanta)

माँ चंद्रघंटा अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण किए हुए हैं। इनके दस हाथ हैं और वे सिंह पर सवार हैं। इनकी कृपा से भय का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है।

पूजा विधि:

  • इस दिन गोल्डन या पीले वस्त्र धारण करें।
  • माँ को केसर, चंदन, लाल पुष्प, घी और दूध अर्पित करें।
  • उन्हें खीर और केले का भोग लगाएं।
  • इस मंत्र का जाप करें:
    “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।”

4. चतुर्थ दिन – माँ कूष्मांडा की पूजा (Chaturthi – Maa Kushmanda)

माँ कूष्मांडा सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली देवी हैं। इनके चेहरे पर मंद मुस्कान रहती है, इसीलिए इन्हें “कूष्मांडा” कहा जाता है। इनकी पूजा से स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

पूजा विधि:

  • इस दिन हरे वस्त्र पहनकर माँ की आराधना करें।
  • माँ को कमल और गेंदे के फूल, नारियल, फल, हलवा अर्पित करें।
  • मंत्र जाप करें:
    “ॐ देवी कूष्मांडायै नमः।”

5. पंचम दिन – माँ स्कंदमाता की पूजा (Panchami – Maa Skandamata)

माँ स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं। इनकी उपासना से बुद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि:

  • नारंगी वस्त्र पहनकर पूजा करें।
  • माँ को कमल, केसर, शहद और मिठाई अर्पित करें।
  • मंत्र जाप करें:
    “ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः।”

6. षष्ठम दिन – माँ कात्यायनी की पूजा (Shashthi – Maa Katyayani)

माँ कात्यायनी विवाह, प्रेम और संबंधों में समृद्धि प्रदान करती हैं।

पूजा विधि:

  • गुलाबी वस्त्र पहनकर माँ की पूजा करें।
  • माँ को गुलाब, शहद, मिश्री, दूध और फल अर्पित करें।
  • मंत्र जाप करें:
    “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।”

7. सप्तम दिन – माँ कालरात्रि की पूजा (Saptami – Maa Kalaratri)

माँ कालरात्रि संकटों को दूर करने वाली देवी हैं।

पूजा विधि:

  • नीले या काले वस्त्र पहनें।
  • माँ को तिल, गुड़ और नारियल अर्पित करें।
  • मंत्र जाप करें:
    “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।”

8. अष्टम दिन – माँ महागौरी की पूजा (Ashtami – Maa Mahagauri)

माँ महागौरी शुद्धता और करुणा की देवी हैं।

पूजा विधि:

  • सफेद वस्त्र पहनें।
  • माँ को दूध, श्वेत पुष्प, नारियल और मिठाई अर्पित करें।
  • मंत्र जाप करें:
    “ॐ देवी महागौर्यै नमः।”

9. नवम दिन – माँ सिद्धिदात्री की पूजा (Navami – Maa Siddhidatri)

माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली देवी हैं।

पूजा विधि:

  • बैंगनी वस्त्र पहनें।
  • माँ को कमल, भोग प्रसाद और पंचामृत अर्पित करें।
  • मंत्र जाप करें:
    “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।”

नवरात्रि आत्मशुद्धि, शक्ति और साधना का पर्व है। इस दौरान माँ दुर्गा की आराधना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इस नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा विधि का पालन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

FAQ: नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व और देवी के नौ स्वरूपों की पूजा विधि

1. नवरात्रि के नौ दिनों का क्या महत्व है?

नवरात्रि के नौ दिन माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए समर्पित होते हैं। इन दिनों में देवी शक्ति की उपासना करने से शक्ति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

2. नवरात्रि में कौन-कौन से देवी की पूजा की जाती है?

नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है:

  1. माँ शैलपुत्री
  2. माँ ब्रह्मचारिणी
  3. माँ चंद्रघंटा
  4. माँ कूष्मांडा
  5. माँ स्कंदमाता
  6. माँ कात्यायनी
  7. माँ कालरात्रि
  8. माँ महागौरी
  9. माँ सिद्धिदात्री

3. नवरात्रि में किस दिन कौन सा रंग पहनना शुभ होता है?

हर दिन एक विशेष रंग पहनने से सकारात्मक ऊर्जा और देवी कृपा प्राप्त होती है:

  • पहला दिन: लाल
  • दूसरा दिन: सफेद
  • तीसरा दिन: पीला
  • चौथा दिन: हरा
  • पाँचवां दिन: नारंगी
  • छठा दिन: गुलाबी
  • सातवां दिन: नीला
  • आठवां दिन: बैंगनी
  • नौवां दिन: सुनहरा या लाल

4. नवरात्रि में व्रत कैसे रखा जाता है?

नवरात्रि व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, संकल्प लें, फलाहार करें और देवी दुर्गा की पूजा करें। दिनभर माँ के मंत्रों का जाप करें और अष्टमी/नवमी पर कन्या पूजन करें।

5. क्या नवरात्रि में लहसुन-प्याज खाना वर्जित है?

हाँ, नवरात्रि में सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है, जिसमें लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन से परहेज किया जाता है।

6. नवरात्रि में कन्या पूजन क्यों किया जाता है?

अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है क्योंकि कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। उन्हें भोजन कराकर आशीर्वाद लिया जाता है।

7. क्या नवरात्रि में बिना व्रत रखे भी पूजा कर सकते हैं?

हाँ, यदि आप व्रत नहीं रख सकते तो भी माँ दुर्गा की पूजा कर सकते हैं। नियमों का पालन करते हुए श्रद्धा से पूजा करने से भी देवी की कृपा प्राप्त होती है।

8. नवरात्रि में किस दिन हवन करना शुभ होता है?

नवरात्रि में अष्टमी या नवमी के दिन हवन करना सबसे शुभ माना जाता है। यह वातावरण को शुद्ध करता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

9. नवरात्रि में माँ दुर्गा को कौन-कौन से भोग लगाए जाते हैं?

हर दिन माँ को विशेष भोग अर्पित किया जाता है:

  • पहला दिन: घी
  • दूसरा दिन: चीनी
  • तीसरा दिन: दूध
  • चौथा दिन: मालपुआ
  • पाँचवां दिन: केले
  • छठा दिन: शहद
  • सातवां दिन: गुड़
  • आठवां दिन: नारियल
  • नौवां दिन: तिल का भोग

10. क्या नवरात्रि के दौरान शादी या शुभ कार्य कर सकते हैं?

नवरात्रि के दिनों को अत्यंत शुभ माना जाता है, लेकिन इन दिनों में आमतौर पर विवाह जैसे कार्य नहीं किए जाते। हालाँकि, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार शुरू करना आदि कार्य शुभ माने जाते हैं।

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