पापमोचनी एकादशी 2025: तिथि, व्रत विधि, पारण समय, महत्व और पूजा विधि
पापमोचनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत सभी 24 एकादशियों में से एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। 2025 में पापमोचनी एकादशी 25 मार्च, मंगलवार को पड़ेगी और इस व्रत का पारण 26 मार्च, बुधवार को किया जाएगा।

पापमोचनी एकादशी 2025 तिथि एवं पारण समय
एकादशी तिथि प्रारंभ | 25 मार्च 2025, रात 12:17 बजे |
एकादशी तिथि समाप्त | 25 मार्च 2025, रात 11:30 बजे |
द्वादशी तिथि प्रारंभ | 25 मार्च 2025, रात 11:30 बजे |
द्वादशी तिथि समाप्त | 26 मार्च 2025, रात 10:16 बजे |
व्रत पारण का शुभ मुहूर्त | 26 मार्च 2025, सुबह 5:56 से 7:26 और 8:58 से 10:28 तक |
पापमोचनी एकादशी का महत्व
“पापमोचनी” शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – पाप + मोचनी, जिसका अर्थ है पापों से मुक्ति दिलाने वाली। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है, जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार के पापों या कष्टों से छुटकारा पाना चाहते हैं।
शास्त्रों में वर्णित लाभ:
- इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है।
- जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- भगवान श्री हरिनारायण (भगवान विष्णु) की कृपा सदैव बनी रहती है।
- पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- व्रती को मोक्ष प्राप्ति का भी वरदान मिलता है।
पापमोचनी एकादशी व्रत कथा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पापमोचनी एकादशी का उल्लेख भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को किया था। एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी को एक अप्सरा ने अपने मोहपाश में फंसा लिया और वह अपनी तपस्या से भटक गए। वर्षों बाद, जब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने नारद मुनि से इसका समाधान पूछा।
नारद मुनि ने उन्हें चैत्र कृष्ण एकादशी (पापमोचनी एकादशी) का व्रत करने का सुझाव दिया। इस व्रत के प्रभाव से ऋषि मेधावी को अपने पापों से मुक्ति मिल गई और वे पुनः अपने तपोबल को प्राप्त कर सके।
पापमोचनी एकादशी व्रत विधि
1. व्रत की तैयारी एवं संकल्प:
- एकादशी के दिन प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें – “मैं भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और अपने पापों से मुक्ति के लिए यह व्रत कर रहा/रही हूँ।”
2. पूजा विधि:
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- श्री विष्णु सहस्रनाम या विष्णु मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करें।
- तुलसी पत्र, धूप, दीप, नैवेद्य और पीले पुष्प अर्पित करें।
- भगवान विष्णु की आरती करें और भजन-कीर्तन करें।
3. व्रत के नियम:
- पूरे दिन निराहार (बिना भोजन के) या फलाहार व्रत रखें।
- क्रोध, निंदा, झूठ, हिंसा और अन्य नकारात्मक विचारों से बचें।
- भगवान विष्णु की कथाओं का पाठ करें और सत्संग में भाग लें।
4. व्रत पारण (समापन) विधि:
- द्वादशी तिथि (26 मार्च 2025) को प्रातः स्नान करें।
- भगवान विष्णु को भोग अर्पित कर ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- सूर्योदय के बाद पारण करें – शुभ मुहूर्त: 5:56 से 7:26 और 8:58 से 10:28 तक।
व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं?
एकादशी व्रत में वर्जित चीजें:
- चावल, गेहूं, दालें, लहसुन, प्याज और मसालेदार भोजन का सेवन न करें।
- मांस, शराब और तामसिक भोजन से बचें।
- झूठ बोलना, क्रोध करना और नकारात्मकता फैलाना निषिद्ध है।
एकादशी व्रत में क्या खा सकते हैं?
- फलों का सेवन करें – केला, अनार, नारियल, पपीता आदि।
- सूखे मेवे – बादाम, काजू, अखरोट।
- व्रत के अनुकूल अनाज – कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा।
- साबूदाना, दूध और दूध से बने व्यंजन।
पापमोचनी एकादशी का विशेष उपाय
जो व्यक्ति अपने बीते जीवन में किए गए पापों का प्रायश्चित करना चाहते हैं, उन्हें इस दिन निम्न उपाय करने चाहिए:
- भगवान विष्णु के समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें।
- निर्धनों को भोजन और वस्त्र दान करें।
- अपने जीवन में किसी के प्रति किए गए अन्याय या बुरे कार्यों को सुधारने का संकल्प लें।
पापमोचनी एकादशी 2025 का व्रत 25 मार्च 2025 को रखा जाएगा और 26 मार्च 2025 को पारण होगा। इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति करने से व्यक्ति अपने समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि को प्राप्त करता है।
जो भी व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन और श्रद्धा से करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा और मोक्ष का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है।
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