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पापमोचनी एकादशी व्रत कथा: महत्व, तिथि, विधि और लाभ

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पापमोचनी एकादशी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण एकादशी व्रतों में से एक मानी जाती है। यह व्रत सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाला है और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक माना जाता है। खासतौर पर, यह व्रत उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो जीवन में किसी पाप से मुक्ति चाहते हैं और आत्मशुद्धि के मार्ग पर चलना चाहते हैं। इस लेख में हम पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा, व्रत विधि, महत्व और लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

पापमोचनी एकादशी 2025
पापमोचनी एकादशी 2025

पापमोचनी एकादशी का महत्व

पापमोचनी एकादशी का शाब्दिक अर्थ है – “पापों को नष्ट करने वाली एकादशी”। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पूर्व जन्म और इस जन्म के सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

पापमोचनी एकादशी के प्रमुख लाभ:

  1. पापों से मुक्ति: यह व्रत व्यक्ति के जीवन में किए गए सभी छोटे-बड़े पापों का नाश करता है।
  2. मोक्ष की प्राप्ति: भगवान विष्णु की कृपा से साधक को जन्म-मृत्यु के बंधन से छुटकारा मिलता है।
  3. पिशाच योनि से मुक्ति: यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक है जो पिशाच योनि से मुक्त होना चाहते हैं।
  4. आत्मिक और मानसिक शुद्धि: यह व्रत व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धि प्रदान करता है।
  5. ब्रह्महत्या एवं अन्य महापापों से मुक्ति: यह व्रत ब्रह्महत्या, व्यभिचार, चोरी, झूठ आदि से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा

ऋषि मेधावी और अप्सरा मंजुघोषा की कथा

प्राचीन काल में चित्ररथ नामक एक सुंदर वन था, जहाँ देवता, गंधर्व और ऋषि-मुनि ध्यान और तपस्या करते थे। इस वन में महान तपस्वी ऋषि मेधावी अपने शिष्यों के साथ तपस्या में लीन थे।

एक दिन स्वर्ग की अप्सरा मंजुघोषा वहाँ से गुजरी। उसने ऋषि मेधावी को देखा और उनकी तेजस्विता पर मोहित हो गई। वह उन्हें अपने मोहपाश में फँसाने के लिए मधुर स्वर में गाना गाने लगी और नृत्य करने लगी। धीरे-धीरे, उसकी सुंदरता और मोहक चालों से ऋषि मेधावी का मन विचलित हो गया और वे अपनी तपस्या भूल गए।

कई वर्षों तक ऋषि मेधावी, मंजुघोषा के साथ प्रेम में लीन रहे। जब मंजुघोषा ने वहाँ से जाने की इच्छा जताई, तो ऋषि को एहसास हुआ कि उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा भाग व्यर्थ कर दिया है। उन्हें अपनी गलती पर गहरा पश्चाताप हुआ और क्रोधित होकर उन्होंने मंजुघोषा को पिशाचिनी बनने का श्राप दे दिया।

अप्सरा मंजुघोषा ने विनती करते हुए श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। तब ऋषि मेधावी ने कहा कि चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे पापमोचनी एकादशी कहा जाता है, का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

मंजुघोषा ने विधिपूर्वक इस व्रत का पालन किया और पिशाच योनि से मुक्त हो गई

ऋषि मेधावी को पापमोचनी एकादशी व्रत का ज्ञान

ऋषि मेधावी जब अपने पिता च्यवन ऋषि के पास गए और अपनी भूल बताई, तो उनके पिता ने भी उन्हें पापमोचनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। जब ऋषि मेधावी ने इस व्रत को विधिपूर्वक किया, तो वे अपने सभी पापों से मुक्त हो गए और दोबारा तपस्या में लीन हो सके।

पापमोचनी एकादशी व्रत विधि

व्रत की तैयारी:

  1. एकादशी के एक दिन पहले (दशमी तिथि) से ही सात्त्विक आहार ग्रहण करें।
  2. रात्रि को भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोएं।

व्रत के दिन (एकादशी तिथि):

  1. स्नान एवं संकल्प: प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प लें।
  2. भगवान विष्णु की पूजा:
    • पीले वस्त्र धारण करें।
    • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र पर पुष्प, अक्षत, चंदन आदि चढ़ाएं।
    • तुलसी दल और पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें।
    • विष्णु सहस्रनाम और भगवद्गीता के पाठ करें।
  3. व्रत पालन:
    • पूरे दिन उपवास रखें (निर्जल या फलाहार कर सकते हैं)।
    • सत्संग, कीर्तन, भजन में समय बिताएं।
  4. रात्रि जागरण:
    • रात में भगवत कथा, कीर्तन या भजन करें।
    • श्री हरि का नाम स्मरण करते रहें।

द्वादशी तिथि (अगले दिन व्रत पारण):

  1. प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
  2. ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन और दक्षिणा दें।
  3. सात्त्विक भोजन करके व्रत का समापन करें।

पापमोचनी एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें?

क्या करें?

  • भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • व्रत का संकल्प लें और नियमों का पालन करें।
  • दान-पुण्य करें।
  • धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
  • मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहें।

क्या न करें?

  • व्रत के दिन अनाज एवं तामसिक भोजन न करें।
  • क्रोध, झूठ और अपशब्दों से बचें।
  • नशा या मांसाहार न करें।
  • किसी का अपमान न करें।
  • कटु वचन और बुरी संगत से दूर रहें।

पापमोचनी एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत आत्मशुद्धि, मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि आप भी जीवन के किसी भी पाप से मुक्त होना चाहते हैं, तो इस एकादशी का विधिपूर्वक पालन करें और पुण्य लाभ अर्जित करें।

पापमोचनी एकादशी व्रत से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQ)

1. पापमोचनी एकादशी क्या है?

उत्तर: पापमोचनी एकादशी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण एकादशी व्रतों में से एक है, जो सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाली मानी जाती है। इसे करने से व्यक्ति को आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

2. पापमोचनी एकादशी कब आती है?

उत्तर: पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन-चैत्र महीने में आती है और हर साल इसकी तिथि बदलती रहती है।

3. पापमोचनी एकादशी का क्या महत्व है?

उत्तर

  • यह व्रत व्यक्ति के सभी पापों का नाश करता है।
  • यह पिशाच योनि और अन्य कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
  • भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और मोक्ष का मार्ग खुलता है।
  • यह ब्रह्महत्या, व्यभिचार, चोरी और अन्य महापापों से मुक्त करने में सहायक है।

4. पापमोचनी एकादशी का व्रत कैसे करें?

उत्तर:

  • एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी दल अर्पित करें।
  • व्रत का संकल्प लें और दिनभर उपवास करें।
  • दिनभर भजन-कीर्तन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • रात्रि जागरण करें और अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें।

5. क्या पापमोचनी एकादशी व्रत में पानी पी सकते हैं?

उत्तर: हां, इस व्रत में निर्जला (बिना पानी), फलाहारी (फल और दूध) या आंशिक उपवास रखा जा सकता है। निर्जला व्रत कठिन होता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर पानी या फलाहार लिया जा सकता है।

6. पापमोचनी एकादशी की कथा क्या है?

उत्तर:

  • प्राचीन काल में ऋषि मेधावी स्वर्ग की अप्सरा मंजुघोषा के प्रेमजाल में फँस गए और उनकी तपस्या भंग हो गई।
  • जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उन्होंने अप्सरा को पिशाचिनी बनने का श्राप दे दिया।
  • मंजुघोषा ने पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और उसे श्राप से मुक्ति मिल गई।
  • बाद में ऋषि मेधावी ने भी यह व्रत किया और अपने पापों से मुक्त हो गए।

7. पापमोचनी एकादशी पर क्या करना चाहिए?

उत्तर:

  • भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • तुलसी पत्र और फल अर्पित करें।
  • सात्त्विक भोजन करें (यदि उपवास न कर सकें)।
  • जरूरतमंदों को दान दें।
  • पवित्र विचार रखें और भजन-कीर्तन करें।

8. पापमोचनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए?

उत्तर:

  • अनाज और तामसिक भोजन न करें।
  • नशा, झूठ, क्रोध और बुरे विचारों से बचें।
  • किसी का अपमान न करें और झगड़ा न करें।
  • नींद में ज्यादा समय न गवाएँ, बल्कि रात्रि जागरण करें।

9. क्या इस व्रत को महिलाएं कर सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्री और पुरुष दोनों इस व्रत को कर सकते हैं। यह व्रत सभी के लिए शुभ माना जाता है।

10. पापमोचनी एकादशी का पारण कब करना चाहिए?

उत्तर: द्वादशी तिथि को प्रातःकाल स्नान करके, भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें। पारण के समय किसी ब्राह्मण को भोजन कराना और दान-पुण्य करना शुभ होता है।

अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी तो इसे दूसरों के साथ साझा करें और इस पावन व्रत का लाभ उठाएं!

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