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शनि की साढ़े साती और ढैय्या क्या होती है? इससे कैसे बचें? | शनि की साढ़े साती और ढैय्या कब आती है और इसका क्या प्रभाव होता है?

शनि की साढ़े साती और ढैय्या
शनि की साढ़े साती और ढैय्या

शनि ग्रह का महत्व

ज्योतिष में शनि ग्रह को न्यायाधीश माना जाता है, जो व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देता है। इसे अनुशासन, परिश्रम, संघर्ष और धैर्य का प्रतीक माना जाता है। जब शनि अपनी विशेष दशाओं में आता है, तो व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। इनमें शनि की साढ़े साती और ढैय्या सबसे प्रभावशाली मानी जाती हैं।

शनि की साढ़े साती क्या है?

जब शनि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्रमा से बारहवें, पहले और दूसरे भाव में भ्रमण करता है, तो इसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है। यह कुल साढ़े सात वर्षों तक चलती है और तीन चरणों में विभाजित होती है:

  1. पहला चरण: जब शनि चंद्र राशि से बारहवें भाव में प्रवेश करता है। इस समय व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव, धन हानि और पारिवारिक समस्याएं आ सकती हैं।
  2. दूसरा चरण: जब शनि चंद्र राशि में आता है। यह समय सबसे कठिन माना जाता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य, करियर और संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  3. तीसरा चरण: जब शनि चंद्र राशि से दूसरे भाव में प्रवेश करता है। यह चरण धीरे-धीरे राहत प्रदान करता है, लेकिन व्यक्ति को धैर्य रखना पड़ता है।

किन राशियों पर साढ़े साती का प्रभाव रहता है?

शनि की साढ़े साती हर व्यक्ति के जीवन में आती है, लेकिन यह मुख्य रूप से उन्हीं राशियों को प्रभावित करती है जिनके चंद्र राशि पर शनि गोचर कर रहा होता है। वर्तमान में, साढ़े साती जिन राशियों पर चल रही है:

  • मीन राशि: पहला चरण
  • कुंभ राशि: दूसरा चरण
  • मकर राशि: तीसरा चरण

शनि की ढैय्या क्या है?

जब शनि चंद्र राशि से चौथे या आठवें भाव में गोचर करता है, तो इसे शनि की ढैय्या कहा जाता है। इसका प्रभाव ढाई वर्षों तक रहता है। यह साढ़े साती जितना गंभीर नहीं होता, लेकिन फिर भी जीवन में चुनौतियां ला सकता है।

किन राशियों पर ढैय्या का प्रभाव रहता है?

वर्तमान में, शनि की ढैय्या इन राशियों पर प्रभाव डाल रही है:

  • कर्क राशि (चौथे भाव में गोचर)
  • वृश्चिक राशि (आठवें भाव में गोचर)

शनि की साढ़े साती और ढैय्या के सामान्य प्रभाव

  • आर्थिक समस्याएं: अचानक धन हानि, निवेश में नुकसान।
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: जोड़ों का दर्द, हड्डियों की समस्या, मानसिक तनाव।
  • कैरियर में उतार-चढ़ाव: नौकरी में अस्थिरता, प्रमोशन में देरी।
  • पारिवारिक और वैवाहिक जीवन में कठिनाई: विवाद, मतभेद और अलगाव की संभावना।
  • मानसिक और आध्यात्मिक प्रभाव: व्यक्ति अधिक धार्मिक और आत्मविश्लेषण करने वाला बन सकता है।
  • कानूनी समस्याएं: मुकदमेबाजी या अन्य कानूनी विवादों का सामना करना पड़ सकता है।
  • मित्रों और रिश्तेदारों से मतभेद: प्रियजनों के साथ संबंधों में तनाव आ सकता है।

शनि की साढ़े साती और ढैय्या के उपाय

  1. शनि देव की पूजा करें: हर शनिवार को शनि मंदिर में जाकर तेल चढ़ाएं।
  2. हनुमान चालीसा का पाठ करें: हनुमान जी की पूजा करने से शनि के कुप्रभाव कम होते हैं।
  3. काले तिल और सरसों के तेल का दान करें: यह उपाय शनि की नकारात्मक ऊर्जा को कम करता है।
  4. गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें: शनि न्यायप्रिय ग्रह है, इसलिए सेवा करने से लाभ होता है।
  5. नीलम रत्न धारण करें: योग्य ज्योतिषी से परामर्श करके नीलम पहन सकते हैं।
  6. शनिवार को व्रत रखें: यह भी शनि के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।
  7. गाय को चारा और काले कुत्ते को रोटी खिलाएं: यह उपाय भी लाभदायक होता है।
  8. पीपल के पेड़ की पूजा करें: हर शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और उसकी परिक्रमा करें।
  9. शनि स्तोत्र का पाठ करें: विशेष रूप से दशरथ कृत शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करने से राहत मिलती है।
  10. कर्म सुधारें: ईमानदारी, परिश्रम और सेवा के माध्यम से शनि की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

शनि की साढ़े साती और ढैय्या से कैसे लाभ उठाएं?

हालांकि यह समय चुनौतियों से भरा होता है, लेकिन यदि व्यक्ति सही दृष्टिकोण अपनाए तो यह आत्म-सुधार और उन्नति का अवसर भी बन सकता है। इस दौरान:

  • आत्मअनुशासन बढ़ाएं: कठोर परिश्रम और अनुशासन से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
  • धैर्य रखें: घबराने की बजाय धैर्य और संयम बनाए रखें।
  • आध्यात्मिकता अपनाएं: ध्यान, योग और प्रार्थना से मानसिक शांति प्राप्त होगी।
  • अपनी गलतियों से सीखें: इस अवधि को आत्मनिरीक्षण और सुधार के लिए उपयोग करें।

शनि की साढ़े साती और ढैय्या व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने वाली स्थितियां होती हैं। हालांकि यह समय कठिनाइयों से भरा हो सकता है, लेकिन यदि व्यक्ति धैर्य रखे, सकारात्मक सोच अपनाए और उचित उपाय करे, तो यह समय उसे सफलता और उन्नति भी प्रदान कर सकता है। शनि का उद्देश्य व्यक्ति को अनुशासन सिखाना और आत्म-सुधार करना होता है, इसलिए इन परिस्थितियों को एक सीख के रूप में लेना चाहिए।

यह समझना जरूरी है कि शनि केवल सजा देने वाला ग्रह नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति को सही राह दिखाने और सशक्त बनाने वाला ग्रह भी है। इसलिए, अगर हम अपने कर्मों को सुधारें और ईमानदारी से जीवन जिएं, तो शनि हमें अपार सफलता भी प्रदान कर सकता है।

नोट: यह सामग्री केवल मार्गदर्शन और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान की गई है। इसे अंतिम निर्णय का आधार न बनाएं।

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