वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत 2025: महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और लाभ
1 अप्रैल 2025 (मंगलवार) को वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत मनाया जाएगा। जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, लाभ और गणपति पूजा के महत्वपूर्ण नियम।

1 अप्रैल 2025 (मंगलवार) को मनाई जाने वाली वैनायकी गणेश चतुर्थी का सम्पूर्ण विवरण
वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत 1 अप्रैल 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान गणेश की विशेष आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से समस्त विघ्न दूर होते हैं और बुद्धि, ज्ञान, व धन लाभ प्राप्त होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है, लेकिन वैशाख, श्रावण और मार्गशीर्ष मास की गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व होता है।
वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व
वैनायकी गणेश चतुर्थी का संबंध माता पार्वती से बताया जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान गणेश को अपनी मानसिक शक्ति से उत्पन्न किया था, इसलिए इसे “वैनायकी चतुर्थी” कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इस व्रत के लाभ:
- बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि – यह व्रत विद्यार्थियों और बुद्धिजीवियों के लिए अति लाभकारी होता है।
- विघ्नों का नाश – भगवान गणेश को “विघ्नहर्ता” कहा जाता है, अतः उनकी पूजा से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
- धन और समृद्धि की प्राप्ति – व्यापार और नौकरी में उन्नति के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है।
- सौभाग्य और सफलता – यह व्रत करने से पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- ग्रह दोषों का निवारण – कुंडली में बुध और राहु ग्रह के दोषों को दूर करने के लिए भी यह व्रत विशेष फलदायी माना जाता है।
वैनायकी गणेश चतुर्थी 2025: पूजा विधि एवं नियम
1. व्रत का संकल्प
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और गणपति पूजन का संकल्प लें।
- संकल्प में यह प्रार्थना करें कि “हे गणपति बप्पा, मैं आपके व्रत का पालन करूंगा/करूंगी, कृपया मुझे आशीर्वाद दें।”
2. पूजा सामग्री
- पूजा में निम्नलिखित सामग्री का उपयोग किया जाता है:
- गणेश प्रतिमा या चित्र
- लाल और पीले फूल
- दूर्वा घास (21 या 51 दूर्वा चढ़ाना शुभ होता है)
- मोदक या लड्डू
- पान, सुपारी और रोली
- चंदन और कुमकुम
- घी का दीपक
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल)
3. पूजन विधि
- गणेश जी की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें।
- उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं और स्वच्छ वस्त्र अर्पित करें।
- रोली, चंदन और अक्षत (चावल) से तिलक करें।
- दूर्वा घास चढ़ाएं, जो गणेश जी को अत्यंत प्रिय होती है।
- मोदक और लड्डू का भोग लगाएं।
- श्री गणेश चालीसा, गणपति अथर्वशीर्ष और गणेश स्तोत्र का पाठ करें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
वैनायकी गणेश चतुर्थी 2025: शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 1 अप्रैल 2025 को वैनायकी गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित होगा:
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 1 अप्रैल 2025, सुबह 09:25 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 2 अप्रैल 2025, सुबह 07:06 बजे
- पूजा का शुभ समय: 1 अप्रैल को सुबह 09:25 बजे से प्रारंभ (अभिजीत मुहूर्त में पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है)।
वैनायकी गणेश चतुर्थी पर गणेश मंत्र और स्तोत्र
1. गणेश मंत्र
“ॐ गं गणपतये नमः।”
यह मंत्र जपने से समस्त विघ्न समाप्त होते हैं और गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।
2. गणेश गायत्री मंत्र
“ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।”
यह मंत्र जीवन में सफलता और समृद्धि प्रदान करता है।
3. गणपति अथर्वशीर्ष
इसका पाठ करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत की कथा
प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने अपनी मानसिक शक्ति से भगवान गणेश का सृजन किया था। जब भगवान शिव ने गणेश जी को अपनी पहचान के बिना देखा तो उन्होंने क्रोध में आकर उनका सिर काट दिया। माता पार्वती के विलाप करने पर भगवान शिव ने गणेश जी को पुनः जीवित करने का वरदान दिया और उनके सिर पर हाथी का मस्तक स्थापित किया। तभी से गणपति को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना जाने लगा।
व्रत के दिन क्या करें और क्या न करें?
करने योग्य कार्य:
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और गणेश पूजा का संकल्प लें।
- गणेश मंत्रों का जाप करें और व्रत कथा का पाठ करें।
- जरूरतमंदों को भोजन कराएं और दान करें।
- सात्विक भोजन करें और नमक का त्याग करें।
न करने योग्य कार्य:
- मांस, मदिरा और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- झूठ बोलने और किसी का अपमान करने से बचें।
- व्रत के दिन कलह या क्रोध करने से बचें।
वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत 2025 (1 अप्रैल, मंगलवार) को विधिपूर्वक करने से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सफलता लाने वाला माना जाता है। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से गणपति की उपासना करता है, उसके सभी कार्य सिद्ध होते हैं और विघ्नों का नाश होता है।