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व्यापार में लाभ पाने के लिए वास्तु शास्त्र के सर्वोत्तम टिप्स | Business Vastu in Hindi

वास्तु शास्त्र, भारतीय संस्कृति का एक अटूट हिस्सा है, जो प्रकृति, पंचतत्व (भूमि, जल, अग्नि, वायु, आकाश) और ऊर्जा संतुलन के सिद्धांतों पर आधारित है। जब हम व्यवसाय या व्यापार की बात करते हैं, तो सफलता केवल मेहनत, रणनीति और पूंजी पर निर्भर नहीं करती, बल्कि स्थान की ऊर्जा भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सही दिशा, सही वस्तु का स्थान, सकारात्मक ऊर्जा का संचार – इन सबका ध्यान रखना जरूरी है ताकि व्यवसाय निरंतर उन्नति करे।

व्यवसाय में लाभ के लिए वास्तु शास्त्र
व्यवसाय में लाभ के लिए वास्तु शास्त्र

इस लेख में हम वास्तु शास्त्र के अनुसार विस्तार से जानेंगे कि व्यापार स्थल कैसा होना चाहिए, किन दिशाओं का ध्यान रखना चाहिए, और कौन-कौन से विशेष उपाय करने चाहिए।

1. व्यापार स्थल का चयन (Selection of Business Place)

  • भूमि का स्वरूप: भूमि समतल होनी चाहिए। टेढ़ी-मेढ़ी, गड्ढेदार या अनुपयुक्त भूमि पर व्यापार करना कठिनाइयाँ ला सकता है।
  • आकार: आयताकार (Rectangle) या वर्गाकार (Square) भूखंड सबसे शुभ माने जाते हैं। त्रिकोणीय या अत्यधिक अनियमित आकार की भूमि से बचना चाहिए।
  • स्थान: व्यापार स्थल भीड़भाड़ वाले, विकसित, और सकारात्मक वातावरण वाले स्थान पर हो।

2. मुख्य द्वार (Main Entrance) का वास्तु

  • दिशा: मुख्य द्वार उत्तर (North), पूर्व (East), या उत्तर-पूर्व (North-East) दिशा में होना श्रेष्ठ माना गया है।
  • ऊर्जा का प्रवेश: मुख्य द्वार स्वच्छ, सुगंधित, और सुशोभित होना चाहिए। टूटा हुआ दरवाजा नकारात्मकता लाता है।
  • द्वार का आकार: दरवाजा बड़ा और मजबूत होना चाहिए। द्वार के ऊपर स्वस्तिक, ओम् या शुभ-लाभ लिखना अत्यंत शुभफलकारी होता है।

3. मालिक का स्थान (Owner’s Seat)

  • मालिक को दक्षिण-पश्चिम (South-West) कोने में बैठना चाहिए।
  • पीठ के पीछे ठोस दीवार होनी चाहिए, कांच या खिड़की नहीं।
  • मुख हमेशा उत्तर (North) या पूर्व (East) की ओर होना चाहिए।
  • बैठने की कुर्सी ऊंची और आरामदायक होनी चाहिए ताकि सत्ता और स्थिरता बनी रहे।

महत्व: दक्षिण-पश्चिम दिशा को वास्तु शास्त्र में स्थिरता और अधिकार का क्षेत्र माना गया है, इसीलिए मालिक को वहां बैठना चाहिए।

4. कैश काउंटर और तिजोरी का स्थान

  • तिजोरी या कैश बॉक्स दक्षिण दिशा की दीवार से सटाकर रखें।
  • तिजोरी का दरवाजा उत्तर दिशा की ओर खुले।
  • तिजोरी के भीतर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी जी की मूर्ति या फोटो रखें।
  • तिजोरी खाली न रखें — कुछ न कुछ धन, सिक्के या नोट सदैव रखें।

महत्व: उत्तर दिशा कुबेर (धन के देवता) की दिशा मानी जाती है।

5. ग्राहक क्षेत्र (Customer Area)

  • ग्राहकों के बैठने का स्थान उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में रखें।
  • रिसेप्शन भी उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
  • ग्राहकों के स्वागत के लिए प्राकृतिक पौधों, जल फव्वारे या एक्वेरियम का उपयोग कर सकते हैं।

विशेष ध्यान दें: जल का स्रोत उत्तर-पूर्व दिशा में शुभ फलदायक होता है।

6. आग्नेय कोण (South-East) और अग्नि तत्व

  • रसोई, जनरेटर, इन्वर्टर, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि को आग्नेय कोण (South-East) दिशा में रखें।
  • अग्नि तत्व से संबंधित उपकरण आग्नेय दिशा में होने चाहिए अन्यथा आर्थिक हानि हो सकती है।

7. प्रकाश और वेंटिलेशन (Lighting and Ventilation)

  • व्यापार स्थल में प्राकृतिक रोशनी का प्रवेश उत्तर-पूर्व से होना सर्वोत्तम है।
  • हर क्षेत्र में उजाला होना चाहिए — अंधेरे कोने ऊर्जा को रोकते हैं।
  • कृत्रिम रोशनी की व्यवस्था भी उचित दिशा के अनुसार होनी चाहिए।

8. रंगों का वास्तु (Color According to Vastu)

  • उत्तर दिशा: हरा, हल्का नीला
  • पूर्व दिशा: हल्का गुलाबी, सफेद
  • दक्षिण दिशा: लाल, नारंगी
  • पश्चिम दिशा: नीला, सफेद
  • व्यापार स्थल पर हल्के रंगों का प्रयोग करने से मानसिक शांति और सौम्यता बनी रहती है।

9. शुभ प्रतीक और वास्तु उपाय

  • स्वस्तिक: मुख्य द्वार और कैश काउंटर पर स्वस्तिक बनाएं।
  • गणेश जी और लक्ष्मी जी: कार्यालय में उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें।
  • कछुआ: पीतल या धातु का कछुआ उत्तर दिशा में रखें।
  • धन्यवृक्ष (Money Plant): उत्तर दिशा में लगाएं।
  • अशोक के पौधे: कार्यालय के प्रवेश द्वार के पास लगाने से शांति और समृद्धि आती है।

10. नकारात्मक ऊर्जा से बचाव

  • टूटे फर्नीचर, घड़ी, बिजली के खराब उपकरण तुरंत बदल दें।
  • मुख्य द्वार के सामने कोई बड़ा खंभा, पेड़ या सीढ़ियाँ न हों।
  • नियमित समय पर सफाई और धूप-दीप से स्थान को शुद्ध करें।

अतिरिक्त विशेष उपाय (Advanced Tips)

  • हर गुरुवार को कार्यालय में पीली मिठाई का भोग लगाएं।
  • हर शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनकर व्यवसाय स्थल की सफाई करें।
  • ऑफिस या दुकान में सुंदर घड़ी उत्तर दिशा में लगाएं।
  • प्रवेश द्वार पर गोमूत्र से पोंछा लगाएं — ऊर्जा शुद्ध होती है।
  • हर पूर्णिमा को ऑफिस में धूप, दीप और सुगंधित अगरबत्ती जलाएं।

व्यवसाय में लाभ और स्थिरता पाने के लिए मेहनत और योग्यता के साथ-साथ वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन भी बेहद आवश्यक है।
सही दिशा, सकारात्मक वातावरण, शुभ प्रतीक और नियमित ऊर्जा शुद्धि से व्यापार में निश्चित ही चमत्कारिक लाभ होता है।

वास्तु शास्त्र कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि प्रकृति के नियमों के अनुसार ऊर्जा का संतुलन है, जो व्यक्ति और व्यापार दोनों को उन्नति की ओर ले जाता है।
इसलिए, यदि आप अपने व्यवसाय को तेजी से बढ़ते देखना चाहते हैं, तो उपरोक्त वास्तु नियमों को जीवन में अवश्य अपनाएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q. व्यापार में लाभ के लिए सबसे शुभ दिशा कौन-सी है?
उत्तर दिशा — क्योंकि यह कुबेर का क्षेत्र है, जो धन के देवता माने जाते हैं।

Q. दुकान का मुख्य द्वार किस दिशा में होना चाहिए?
उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में मुख्य द्वार होना सर्वोत्तम है।

Q. ऑफिस में किस रंग का प्रयोग करना चाहिए?
हल्के रंग जैसे सफेद, क्रीम, हल्का हरा या हल्का नीला शुभ माने जाते हैं।

Q. क्या वास्तु उपाय से व्यवसाय में तुरंत लाभ होता है?
वास्तु उपाय सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाते हैं। लाभ स्थायी रूप से धीरे-धीरे आता है। साथ में निरंतर मेहनत भी जरूरी है।

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